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- Pawan K. Verma’s Column There Are 6 Dangers From Which Democracy Must Be Protected
पवन के. वर्मा पूर्व राज्यसभा सांसद व राजनयिक
चुनावों का दौर आने वाला है। बिहार और झारखंड में इस वर्ष के अंत में चुनाव होने जा रहे हैं। उसके बाद असम, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और केरल में मई 2026 में चुनाव होंगे। आलोचक भले ही कहते हों कि हमारे यहां बहुत चुनाव होते हैं, लेकिन चुनावी-लोकतंत्र ही हमारी सबसे बड़ी ताकतों में से एक है।
चीन और पाकिस्तान के पास यह ताकत नहीं है, न ही यह सोवियत संघ के पास थी। जिन सर्वसत्तात्मक शासनों में कतई भी लचीलापन ना हो, वो बहुत अस्थायी होते हैं। मॉस्को में राजनयिक के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान मैंने सोवियत संघ का विघटन अपनी आंखों से देखा था। मुझे लगता है चीन भी ऐसे ही टाइम बम पर बैठा है। इसके विपरीत लोकतंत्र अधिक लचीले होते हैं, क्योंकि उनमें जनता की नाराजगी को बाहर निकालने के लिए चुनावों का सेफ्टी वॉल्व होता है।
विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि लोकतंत्र सरकार का सबसे खराब रूप है, सिवाय उन सभी के जो उससे पहले आजमाए गए थे। यह सही हो सकता है, किंतु लोकतंत्र के संचालन के लिए सतत निगरानी बहुत जरूरी है ताकि उसके स्वरूप से अधिक उसकी आत्मा अक्षुण्ण रहे। ऐसे छह खतरे हैं, जिनसे लोकतंत्र का बचाव किया जाना चाहिए।
पहला खतरा है, अधिनायकवाद। जब कोई लोकतांत्रिक सरकार आलोचना और असहमति के प्रति असहिष्णु हो जाए तो प्रजातंत्र को जीवित रखने वाला संवाद मर जाता है। अपनी सहूलियत के लिए अमानवीय कानून बनाकर उनका दुरुपयोग, बिना निर्धारित प्रक्रिया अपनाए बुलडोजर-न्याय आदि लोकतंत्र की आत्मा के लिए अभिशाप जैसे हैं।
अरस्तू ने कहा था कि ‘स्वतंत्रता ही लोकतंत्र का आधार है।’ दूसरा खतरा है बढ़ता वंशवाद। आज हमारे ज्यादातर राजनीतिक दल पारिवारिक जागीरों जैसे हैं। वे लोकतंत्र के बजाय मध्ययुगीन सामंतवाद की याद दिलाते हैं। तीसरा खतरा- जिस पर बहुत-से राजनीतिक दल भी कुछ नहीं बोल पाते- वह है कोई भी अनुचित तरीका अपनाकर येन-केन-प्रकारेण सत्ता हासिल करना। आज राजनीति में धर्म, जाति, धुर-राष्ट्रवाद, संकीर्ण मुद्दे, बेनामी सम्पत्ति और बाहुबल आम बात है।
चौथा खतरा बहुमत का गलत तरीके से उपयोग है, जिसमें केंद्र या राज्य सरकारें रचनात्मक-संवाद के स्थान पर आंकड़ों की ताकत के बल पर अपनी इच्छा थोप देती हैं। संविधान पेश करते हुए डॉ. आम्बेडकर ने इस आशंका के प्रति चेतावनी भी दी थी।
उन्होंने कहा था कि भारत जैसे देश में लोकतंत्र के अधिनायकवाद में बदलने का खतरा है। खासतौर पर जब किसी दल की बहुत बड़ी जीत हो तो इस खतरे के वास्तविकता में बदलने की संभावना बहुत ज्यादा है। पांचवां खतरा है केंद्र-राज्य संबंधों को अस्थिर करने की कोशिश।
केंद्र में मजबूत सरकारों ने राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारों के कामकाज को बाधित करने के लिए संविधान की गलत व्याख्या की है। वास्तव में तो ‘डबल इंजन सरकार’ का जुमला ही अपने आप में इस बात का सबूत है कि ‘सिंगल इंजन सरकारें’- जिन्हें केंद्र का सहयोग नहीं है- नुकसान में ही रहेंगी। यह सोच लोकतांत्रिक संघवाद के लिए खतरा है।
अंतिम और शायद सबसे प्रमुख तौर पर लोकतंत्र तब खतरे में होता है, जब चुनी हुई सरकारें जनता से किए वादे पूरे नहीं करतीं और सियासी ताकत को निजी हित साधने के लिए काम में लेती हैं। कालिदास ने राजधर्म की व्याख्या करते हुए कहा था : ‘प्रवर्त्ततां प्रकृतिहिताय’ यानी जनता के कल्याण के लिए काम करना। चाणक्य ने कहा था कि ‘राजा को अपनी पूरी शक्ति लोककल्याण में समर्पित कर देनी चाहिए।’ महाभारत में भी दायित्व पूरे नहीं करने वाले राजा के खिलाफ विद्रोह को उचित बताया गया है।
लेकिन क्या लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों में हमारे नए ‘राजा’ इन मान्यताओं और दायित्वों का पालन कर रहे हैं? बिहार में भाजपा और कांग्रेस की बैसाखियों पर बीते 30 वर्षों से लालू-नीतीश सामाजिक न्याय के नाम पर राज करते रहे हैं। लेकिन आज भी बिहार वहीं पर है, जहां पहले था।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य की एक-तिहाई आबादी गरीबी की रेखा से नीचे जीवनयापन करती है। बिहार में देश की सबसे कम प्रति व्यक्ति आय है। स्वास्थ्य और शिक्षा का ढांचा बिगड़ता जा रहा है। व्यापक भ्रष्टाचार और सर्वाधिक बेरोजगारी दर के कारण युवा पलायन कर रहे हैं। ऐसे हालात में मतदाताओं के कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। उनके पास ताकत है कि लोकतंत्र के खतरों का सामना करें और उनके हित में काम नहीं करने वाली सरकारों को वोट के दम पर उखाड़ फेंकें।
वास्तव में ‘डबल इंजन सरकार’ का जुमला ही अपने आप में इस बात का सबूत है कि ‘सिंगल इंजन सरकारें’- जिसे केंद्र का सहयोग नहीं है- नुकसान में ही रहेंगी। यह सोच लोकतांत्रिक संघवाद के लिए खतरा है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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पवन के. वर्मा का कॉलम: 6 खतरे हैं, जिनसे लोकतंत्र का बचाव करना चाहिए