पराली प्रबंधन : सोनीपत को रेड जोन में रखा, जागरूकता को चलाए जा रहे कार्यक्रम


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सोनीपत। जिले में पराली के अवशेष जलाने के मामले लगातार सामने आते हैं। साथ ही यहां धान उत्पादन का रकबा भी ज्यादा है। ऐसे में सोनीपत को पराली जलाने के मामले में रेड जोन में रखा गया है। पिछले साल यहां 72 किसानों पर पराली के अवशेष जलाने पर जुर्माना किया गया था। ऐसे में किसानों को फसल अवशेष न जलाने के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही यहां पर जागरूकता वैन चलाकर व कार्यक्रमों का आयोजन कर भी पराली के अवशेष नहीं जलाने का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही पराली जलाने से रोकने के लिए धारा 144 भी लगाई है। ऐसे में पराली या अवशेष जलाने पर किसान पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
जिले के किसानों ने 90 हजार हेक्टेयर (सवा दो लाख एकड़) भूमि में धान की फसल उगा रखी है। कृषि विभाग किसानों को जागरूक कर रहा है कि फसल अवशेष खेतों के लिए अमृत हैं। किसानों को इसकी जानकारी देने के साथ अवशेष प्रबंधन पर काम करने की जरूरत है। फसल अवशेषों में आग नहीं लगानी चाहिए। इसके लिए जिले को रेड और येलो जोन में बांटकर अधिकारी दिनरात निगरानी कर रहे हैं। किसान खरीफ फसलों की कटाई में जुटे हैं। ऐसे में फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं पर पूर्ण रूप से रोक लगानी होगी। इसके लिए रेड व येलो जोन के गांवों पर फोकस किया जाएगा। अक्तूबर व नवंबर में वायु गुणवत्ता का स्तर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषित हो जाता है। इस दौरान पराली या अन्य फसल अवशेष जलाने से भी प्रदूषण फैलता है। पिछले साल भी जिले में फसल अवशेष जलाने के 72 मामले सामने आए थे। जिसके बाद संबंधित किसानों पर कृषि विभाग द्वारा जुर्माना लगाया गया था। ऐसे में कृषि विभाग ने इस बार खरीफ सीजन में फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं को शून्य करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसके तहत सबसे पहले जिले के उन गांवों को रेड व येलो जोन में बांटा है, जहां फसल अवशेष जलाने की घटनाएं अधिक सामने आती हैं। रेड जोन में सोनीपत के गोहाना क्षेत्र के पांच गांव शामिल किए गए हैं। जिनमें दिन-रात निगरानी की जाएगी।
जिला मजिस्ट्रेट ने जिले में धारा 144 लागू कर फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। आग लगाए जाने से पास के खेतों में खड़ी फसल में आग लगने की आशंका बनी रहती है। फसल अवशेषों की आग से निकलने वाले धुएं से कई गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं। आग की तपिश से जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती है। वातावरण में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। आदेश की अवहेलना करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जागरूकता को हो रही पहल
फसल अवशेषों में आगजनी पर रोक लगाने के लिए कृषि विभाग ने खंड व ग्राम स्तर पर जागरूकता कैंप आयोजित करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही इस बार स्कूल-कॉलेजों में कृषि विभाग की टीम फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करेगी। साथ ही चित्रकला प्रतियोगिता, खेल गतिविधियां, प्रभात फेरी, नाटक मंचन आदि गतिविधियां भी आयोजित करेगी। विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण और फसल अवशेष प्रबंधन के लाभ बताए जाएंगे। ताकि वह अपने अभिभावकों व अन्य ग्रामीणों को जागरूक कर सकें।
धान की पराली के अवशेष जलाने से रोकने के लिए हर संभव पहल की जा रही है। किसानों के साथ ही विद्यार्थियों को भी जागरूक किया जा रहा है। जिससे वह भी अपने अभिभावकों को इससे होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक कर सकें। जिले में धारा 144 लागू हो चुकी है।- डॉ. अनिल सहरावत, कृषि उप निदेशक, सोनीपत

सोनीपत। जिले में पराली के अवशेष जलाने के मामले लगातार सामने आते हैं। साथ ही यहां धान उत्पादन का रकबा भी ज्यादा है। ऐसे में सोनीपत को पराली जलाने के मामले में रेड जोन में रखा गया है। पिछले साल यहां 72 किसानों पर पराली के अवशेष जलाने पर जुर्माना किया गया था। ऐसे में किसानों को फसल अवशेष न जलाने के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही यहां पर जागरूकता वैन चलाकर व कार्यक्रमों का आयोजन कर भी पराली के अवशेष नहीं जलाने का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही पराली जलाने से रोकने के लिए धारा 144 भी लगाई है। ऐसे में पराली या अवशेष जलाने पर किसान पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

जिले के किसानों ने 90 हजार हेक्टेयर (सवा दो लाख एकड़) भूमि में धान की फसल उगा रखी है। कृषि विभाग किसानों को जागरूक कर रहा है कि फसल अवशेष खेतों के लिए अमृत हैं। किसानों को इसकी जानकारी देने के साथ अवशेष प्रबंधन पर काम करने की जरूरत है। फसल अवशेषों में आग नहीं लगानी चाहिए। इसके लिए जिले को रेड और येलो जोन में बांटकर अधिकारी दिनरात निगरानी कर रहे हैं। किसान खरीफ फसलों की कटाई में जुटे हैं। ऐसे में फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं पर पूर्ण रूप से रोक लगानी होगी। इसके लिए रेड व येलो जोन के गांवों पर फोकस किया जाएगा। अक्तूबर व नवंबर में वायु गुणवत्ता का स्तर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषित हो जाता है। इस दौरान पराली या अन्य फसल अवशेष जलाने से भी प्रदूषण फैलता है। पिछले साल भी जिले में फसल अवशेष जलाने के 72 मामले सामने आए थे। जिसके बाद संबंधित किसानों पर कृषि विभाग द्वारा जुर्माना लगाया गया था। ऐसे में कृषि विभाग ने इस बार खरीफ सीजन में फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं को शून्य करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसके तहत सबसे पहले जिले के उन गांवों को रेड व येलो जोन में बांटा है, जहां फसल अवशेष जलाने की घटनाएं अधिक सामने आती हैं। रेड जोन में सोनीपत के गोहाना क्षेत्र के पांच गांव शामिल किए गए हैं। जिनमें दिन-रात निगरानी की जाएगी।

जिला मजिस्ट्रेट ने जिले में धारा 144 लागू कर फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। आग लगाए जाने से पास के खेतों में खड़ी फसल में आग लगने की आशंका बनी रहती है। फसल अवशेषों की आग से निकलने वाले धुएं से कई गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं। आग की तपिश से जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती है। वातावरण में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। आदेश की अवहेलना करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जागरूकता को हो रही पहल

फसल अवशेषों में आगजनी पर रोक लगाने के लिए कृषि विभाग ने खंड व ग्राम स्तर पर जागरूकता कैंप आयोजित करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही इस बार स्कूल-कॉलेजों में कृषि विभाग की टीम फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करेगी। साथ ही चित्रकला प्रतियोगिता, खेल गतिविधियां, प्रभात फेरी, नाटक मंचन आदि गतिविधियां भी आयोजित करेगी। विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण और फसल अवशेष प्रबंधन के लाभ बताए जाएंगे। ताकि वह अपने अभिभावकों व अन्य ग्रामीणों को जागरूक कर सकें।

धान की पराली के अवशेष जलाने से रोकने के लिए हर संभव पहल की जा रही है। किसानों के साथ ही विद्यार्थियों को भी जागरूक किया जा रहा है। जिससे वह भी अपने अभिभावकों को इससे होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक कर सकें। जिले में धारा 144 लागू हो चुकी है।- डॉ. अनिल सहरावत, कृषि उप निदेशक, सोनीपत

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