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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: भीड़-नियंत्रण का सबक जनक से सीखना चाहिए Politics & News

पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:  भीड़-नियंत्रण का सबक जनक से सीखना चाहिए Politics & News

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  • Pt. Vijayshankar Mehta’s Column The Lesson Of Crowd Control Should Be Learnt From Janak

27 मिनट पहले

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पं. विजयशंकर मेहता

भीड़-नियंत्रण कोई नया विषय नहीं है। पर चूंकि हम लापरवाही करते आ रहे हैं, इसलिए अब राष्ट्रीय समस्या बन गई है। और जब किसी की मृत्यु होती है, तब पता लगता है कि भीड़ थी। हमारे यहां दार्शनिकों ने कहा है, मृत्यु जगाती है जीवन के प्रति। तो ऐसे ही जब मौतें होती हैं तो लोग भीड़ के जीवन के प्रति जागते हैं। फिर निर्णयों पर भी सवाल उठते हैं।

जब सीताजी का स्वयंवर हो रहा था, तो उनके पिता जनक ने भीड़ देखकर अपने विश्वासपात्र सेवकों को बुला लिया था- ‘देखी जनक भीर भै भारी। सुचि सेवक सब लिए हंकारी।’ और उनसे कहा कि तुम तुरंत सब लोगों के पास जाओ और उन्हें यथायोग्य आसन दो। तो भीड़-प्रबंधन पहले से किया जा रहा है।

सीता-स्वयंवर में बहुत भीड़ इकट्ठी हो गई थी और उसके बाद भी सब कुछ अच्छे से हुआ। आज भी जब धार्मिक भीड़ होती है तो केंद्र में परमात्मा ही होता है। सबकी अपनी-अपनी श्रद्धा होती है। पर व्यवस्थाएं तो जुटाना ही पड़ती हैं। यह बात आज हमारे जिम्मेदार लोगों को सीखनी चाहिए।

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