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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column When You Take A Wrong Step, Remember Your Childhood
पं. विजयशंकर मेहता
हमारी जिंदगी अच्छी चल रही होती है और हमसे कोई गलत कदम उठ जाता है। उसके बाद पछतावा होता है। लेकिन पीड़ा की बात यह है कि हम फिर गलत कदम उठा लेते हैं। हमारे ही दुर्गुण हमें प्रेरित करते हैं। जब कभी ऐसा हो तो आधे रास्ते से लौट पड़िए।
पीछे लौटने का अर्थ है, थोड़ा अपने बचपन की तरफ जाइए। बचपन में जहां तक हम निर्दोष रहे, तब को याद करिए। क्योंकि बचपन में हमने गलत काम कम किए थे। इस बात को याद करिए कि हम पांच बातों से बने हैं। हमारी ऊर्जा, दूसरा हमारे जीवन की दिशा, तीसरा शिक्षा, चौथा माता-पिता और पांचवां परमात्मा। ये पांच बातें बचपन में बड़ी सरलता से हमारे भीतर होती हैं।
हम उसी को याद करें। दो वक्त होते हैं जब हम बचपन में उतर सकते हैं। सुबह उठने के 10-15 मिनट तक मौका है जब हम ध्यान लगाकर अपने भीतर निर्दोष बचपन को छुएं और रात को सोने के 10-15 मिनट पहले यही किया जा सकता है। जब हम बचपन पर जाते हैं तब पता लगता है हम किसी बच्चे की तरह आज भी, किसी भी उम्र में हों, निर्दोष हैं और यहीं हम गलत रास्ते से बच सकते हैं।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: जब गलत कदम उठ जाए तो बचपन को याद कीजिए