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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column You Should Take Some Decisions Of Life Yourself
2 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
हम पहले विचार करते हैं, फिर निर्णय लेते हैं और उसके बाद काम को करते हैं। इन तीनों की वैलिडेटिंग जरूर करें। यानी इनको प्रामाणिक करें। क्योंकि इन गतिविधियों का सम्बंध दूसरों से भी होगा और दूसरों को लगना चाहिए कि ये जो भी काम करते हैं, वह प्रामाणिक होता है।
प्रामाणिक का एक और अर्थ है कि जो कुछ भी आप कर रहे हैं, उसका निर्णय आपने लिया है। अपने भीतर गहरे उतरकर चिंतन के साथ लिया है। आजकल हमारे जीवन में एक और दिक्कत है। हम निर्णय लेने से बचते हैं। महाभारत में गीता का जन्म इसीलिए हुआ, क्योंकि अर्जुन निर्णय लेने से अपने को बचा रहा था।
उसका मानना था कि कोई और मेरे लिए कर दे। और वो कृष्ण थे। इसीलिए वो कृष्ण से प्रश्न भी पूछ रहा था। क्योंकि दूसरे से कुछ पूछना एक तरकीब बन जाती है खुद से बचने की। जबकि जीवन के कुछ निर्णय आपको खुद लेने चाहिए। और यदि अर्जुन जैसी नौबत हमारे भीतर आ जाए तो अपने जीवन में एक कृष्ण जरूर रखिएगा। वो गुरु हो सकते हैं।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: जीवन के कुछ निर्णय आपको खुद लेने चाहिए