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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Pay Attention To Children’s Eating, Playing, Sleeping And Studying
पं. विजयशंकर मेहता
मानसिक रोग की चर्चा होती है तो लोग मान लेते हैं कि ये बीमारी बड़े होने पर ही लगती है। अध्ययन से पता लगा है कि 5-14 साल तक के बच्चों में भी यह बीमारी धीरे-धीरे पसर रही है। इस उम्र में बच्चे के साथ कुछ नकारात्मक घटता है तो मानसिक रोग बन सकता है। आपके घरों में इस उम्र के बच्चे हैं तो उनके खाने, खेलने, सोने और पढ़ने पर ध्यान दें।
इन चार बातों में यदि बच्चे का व्यवहार असहज है, तो सावधान हो जाइए। ये दिनचर्या मानसिक रोग की तैयारी कर देगी। विज्ञान ने खुलकर घोषणा कर दी है कि बच्चे की मानसिकता मां की गर्भावस्था से ही तैयार हो जाती है। बच्चे के लालन-पालन के समय माता-पिता एक प्रयोग करें और वो होगा अपनी आत्मा पर टिकना।
माता-पिता अपनी आत्मा पर टिकते हैं तो उनकी ऊर्जा से सत्व बहेगा, सकारात्मक संचार होगा। वही बच्चे की मानसिक बीमारी का इलाज होगा। आत्मा पर टिकने के लिए माता-पिता और बच्चे साथ बैठ योग करें। इसे कर्मकांड न मानें, ये आगे आने वाली खतरनाक बीमारी का इलाज भी है।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: बच्चों के खाने, खेलने, सोने और पढ़ने पर ध्यान दें