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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Business Is Possible In Friendship, Provided There Is Trust And Patience
पं. विजयशंकर मेहता
ये कहावत चली आ रही है कि दोस्ती में व्यापार नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे संबंध खराब हो जाते हैं। लेकिन धीरे-धीरे अब इसके मायने बदल रहे हैं। दायरा इतना फैल गया है कि अब आप अकेले कुछ कर नहीं सकते। तो क्या बुराई है किसी मित्र के साथ कारोबार करने में? डर इस बात का है कि कहीं मित्रता टूट न जाए।
अगर सावधानी रखी जाए तो मित्र के साथ व्यापार करना फायदेमंद हो सकता है। और सावधानी तो हर व्यापार में रखनी पड़ती है। तो मित्रता एक सिद्धांत है, स्वभाव है। जब भी आप अपने किसी मित्र के साथ कारोबार कर रहे हों, बीच में पैसे से अधिक विश्वास और धैर्य रखना। इतना विश्वास रखना ही सही कि न वो हमें धोखा देंगे न हम उन्हें देंगे।
शास्त्रों में एक प्रसंग आता है, जब देवराज इंद्र ने वत्रासुर नाम के एक दैत्य से मित्रता की थी। लेकिन दोनों के ही मन में छल था। नतीजे में इंद्र दुखी हुए, वत्रासुर मारा गया। इसलिए मित्रता तो रखें पर मित्रता के साथ अगर कारोबार रखना पड़े, तो पीछे न हटें। विश्वास और धैर्य फायदा ही पहुंचाएंगे।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: दोस्ती में व्यापार संभव है, बशर्ते विश्वास व धैर्य रहे