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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Stay Silent While Walking And Focus On Your Steps
पं. विजयशंकर मेहता
सुबह सैर करने वालों की आजकल खूब संस्थाएं बन गई हैं। लोग मिलकर ‘वॉक’ करते हैं, लेकिन उससे ज्यादा ‘टॉक’ करते हैं। जिन्हें शारीरिक ऊर्जा के साथ-साथ मानसिक ऊर्जा भी चाहिए, उन्हें सैर करते समय बातचीत नहीं करनी चाहिए। विचार शून्य सैर जीवन के हर क्षेत्र में आपकी सहनशक्ति बढ़ा देगी। लेकिन लोग घूमते समय खूब बतियाते हैं, बाकी कुछ लोग तो बतियाने के लिए ही घूमते हैं।
अब ये तो ऐसा ही हुआ कि सुबह का पहला कदम शोर के साथ उठा लिया है। खामोश रहते हुए सैर करें। और जब भी सैर करें, खासतौर पर सुबह, तो आपके साथ सिर्फ आपके विचार हों, फिर धीरे-धीरे अपने कदमों पर ध्यान दें। कदमों के साथ विचार शून्य होकर एकाग्र रहकर खुद से जुड़ते हुए सैर करें। अगर बहुत सारे लोगों के साथ चल भी रहे हों, तो प्रयास करें कि खामोशी उतरे।
सुबह की सैर व्यावहारिक नहीं, भावनात्मक होनी चाहिए। यह चलता-फिरता क्लब शारीरिक स्वास्थ्य में तो मददगार हो सकता है, पर मानसिक स्वास्थ्य के लिए मौन कदम-ताल बड़ा उपयोगी है।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: सैर करते हुए मौन रहकर अपने कदमों पर ध्यान दें