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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Keep God At The Center While Maintaining Relationships
पं. विजयशंकर मेहता
ईश्वर ने जब हमें संसार में भेजा तो हमारे साथ जो कुछ भी उन्होंने दिया, उसमें एक है नातेदारी। हम मनुष्यों के जीवन में मां-पिता, भाई-बहन, बच्चे और काफी हद तक पति या पत्नी होना ईश्वर का निर्णय है। वहीं रिश्ते मान्यताओं पर टिके होते हैं और नातों में विश्वास होता है।
इसलिए जब नाते निभाने जाएं तो बीच में ईश्वर को रखें। क्योंकि रिश्ते अगर एक बार टूट जाएं, तो बहुत अधिक दिक्कत नहीं होने वाली, क्योंकि वो रिश्ते हमने बनाए हैं। दूसरे बन जाएंगे, लेकिन नातों में अगर बिखराव आया, तो दूसरे कहां से लाएंगे?
माता-पिता का कोई विकल्प नहीं है, जो हमारे सगे भाई-बहन हैं, उनकी कौन सी फोटोकॉपी हम पैदा कर पाएंगे। हमारे बच्चे हमारे ही रहेंगे, जीवन में जो स्त्री पत्नी बनकर आई है, जो पुरुष पति बनकर आया है, वो परमात्मा का निर्णय है।
इसलिए इन नातों को निभाते समय यह भरोसा रखना चाहिए कि यदि ईश्वर ने रिश्ते दिए हैं, तो इनको निभाने के लिए भी ईश्वर हमारे साथ है। परमात्मा से ताकत मांगिए कि नातों को निभाते समय टूट न जाएं।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: रिश्ते-नातों को निभाने में परमात्मा को केंद्र में रखें