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- Column By Pandit Vijayshankar Mehta Parents Should Do Satsang On Seven Things With Their Children

पं. विजयशंकर मेहता
धार्मिक वृत्ति के लोगों के जीवन में सत्संग का बड़ा महत्व होता है। किसी कथा में समझदारी और विवेक के साथ बैठ जाएं, तो वो सत्संग में बदल जाती है। और सत्संग का लाभ जीवन की गहराई नापने में मिलता है। सत्संग का मूल्यांकन मत करिए। उसमें जो श्रेष्ठ है, काम का है, वो लीजिए और आगे बढ़ जाइए।
अपने परिवारों में बच्चों को भी सत्संग की आदत डालें। सात बातों का सत्संग संतान के साथ करिए। ये हैं- पहला परिवार, दूसरा नींद (बच्चे सही नींद लें), तीसरा खेल (खेल के अवसर खुले मैदान के हों), चौथा पढ़ाई, पांचवां स्क्रीन टाइम, यह आजकल एक नई समस्या है, छठवां मित्रता, उनके संग का ध्यान रखें और सातवां, बच्चों को उदासी से दूर रखें।
क्योंकि आजकल बच्चों के मूड मीटर को नापने की कोई मशीन तो होती नहीं है। पहले के माता-पिता बच्चों के भाव पढ़ लेते थे और आज पता भी नहीं चलता कि वो क्या सोच रहे हैं और क्या करेंगे। माता-पिता बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए जीवन में इन सात बातों का सत्संग सावधानी से करें।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:माता-पिता बच्चों के साथ सात बातों का सत्संग करें