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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Do Not Miss The Opportunity To Kill The Evil Within You
पं. विजयशंकर मेहता
ईश्वर किसी को भी सीधे दंड नहीं देता। सुधरने का अवसर जरूर देता है। श्रीराम ने रावण के साथ भी यही किया। रावण गलतियां पर गलतियां कर रहा था, राम अवसर पर अवसर दे रहे थे। युद्ध के दूसरे दिन लक्ष्मण जी को शक्ति लगी, हनुमान जी औषधि ले आए।
उसी रात रावण ने कुंभकरण को जगाया। कुंभकरण ने जब सारी बात सुनी, तो रावण से कहा कि ये आपने ठीक नहीं किया, ‘हैं दससीस मनुज रघुनायक, जाके हनुमान से पायक।’ ‘अरे भाई रावण, श्रीराम साधारण मनुष्य नहीं है, और आप उनसे टकरा गए, जिनके हनुमान जैसे सेवक हैं।’ जिस पर रावण इतना भरोसा कर रहा था, वही कुंभकरण रावण को समझा रहा है।
रावण समझ गया कि किसी की बुद्धि फेरना हो, तो उसकी कमजोरियों पर हाथ रखो। कुंभकरण को मदिरा-मांस पेश की गई और कुंभकरण असहमत होते हुए भी राम से युद्ध करने चला और मारा गया। दशहरे पर हमको एक शिक्षा लेनी चाहिए कि ईश्वर सब जानता है, हमारी अच्छाई भी-बुराई भी, और वो हमको अवसर देता है, पर हम रावण की तरह चूक जाते हैं।
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: अपने भीतर की बुराई मारने का अवसर न चूकें