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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Whenever Sorrow Comes, Look At Your Faults
2 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
आजकल व्यावसायिक क्षेत्र में विश्लेषण करते हुए एक टिप्पणी की जा रही है सरकार और सबसे बड़ी हवाई कंपनी के बीच। इंडिगो ने पिछले दिनों अपने यात्रियों के साथ जो किया, उस पर विद्वान लोग कह रहे हैं कि पुरानी नीतिगत व्यवस्था में परिवर्तन न करते हुए यदि मार्केट का विस्तार किया जाए तो ऐसे ही दृश्य सामने आएंगे। अब इसे जीवन से जोड़ा जाए। अपना किया ही भोगना पड़ता है।
यह बात लक्ष्मण जी ने वनवास के समय भीलों के राजा निषाद से बोली थी। निषाद ने श्रीराम और सीता को चट्टान पर सोता हुआ देखकर कहा था कि कैकेयी ने यह अच्छा नहीं किया। किसी भी दृश्य पर टिप्पणी करना बड़ा आसान है।
अब उसके दृश्य के पीछे का जो दर्शन है, वो लक्ष्मण ने अपने संवाद में व्यक्त किया- काहु न कोउ सुख दु:ख कर दाता, निज कृत करम भोग सबु भ्राता। इस दुनिया में कोई किसी को न सुख देता है, न दु:ख देता है। गहराई में जाकर देखें तो सब अपने-अपने कर्मों को भोग रहे होते हैं। इसलिए जब भी दु:ख आए, अपने दोषों पर दृष्टि डालना। अधिकांश दु:ख हमारे ही दोष का परिवर्तित परिणाम हैं।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: जब भी दु:ख आए, अपने दोषों पर दृष्टि डालना