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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Excess Of Any Work Brings Anxiety In Life
पं. विजयशंकर मेहता
एक परिवार ऐसा है, जो हमारे जीवन में प्रवेश करने के लिए कुछ दरवाजे ढूंढता है। पहले उन द्वारों की बात करें, जो हमने बना रखे हैं। जैसे अति सफाई, अत्यधिक समयबद्धता, निर्णय में जरूरत से ज्यादा सोच, भरपूर सफलता की आकांक्षा, अमर्यादित आचरण।
यही वो दरवाजे हैं, जहां से उस परिवार का प्रवेश होता है। अब यह परिवार कौन-सा है? बेचैनी, घबराहट, तनाव, चिंता- ये सब मिलकर एक परिवार बनता है। इसे तलाश है कि आप उसे दरवाजा दिखाएं और वो हमारे जीवन में प्रवेश कर जाए।
इस परिवार का एक नाम है- एंग्जायटी। इसलिए हम जिस क्षेत्र में हों, एक चीज तय करके चलें कि अति हर बात की बुरी होती है। जैसा सोचा वैसा परिणाम मिल जाए, ये बहुत बड़ी अति है। परिश्रम में कोई कमी नहीं होनी चाहिए, लेकिन उसकी भी लोग अति कर देते हैं। और यह जो अति है, यह प्रवेश कराती है एंग्जायटी को हमारे जीवन में। फिर इसके इलाज के लिए हम भागते फिरते हैं, जबकि इलाज हमारे पास है- संतुलित जीवन।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: किसी भी काम की अति जीवन में एंग्जायटी लाती है

