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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Practice Carving Your Life Before Old Age
पं. विजयशंकर मेहता
ईश्वर किसी को बीच में से ना उठाए तो हर इंसान को तीन उम्र से गुजरना ही पड़ेगा- बचपन, जवानी और बुढ़ापा। हमारे जीवन में एक उम्र होती है- अधेड़ उम्र। आंकड़ों के अनुसार इसे 40 से 60 के बीच माना जाता है। यही वो उम्र है, जो हमें बुढ़ापे में ले जाती है।
अब इसके बीच 50 से 70 की उम्र पकड़ी जाए। जैसे उसे मिडिल एज कहते हैं, ऐसे हम इसे हाफ एज मान लें। मिडिल और हाफ में फर्क है, मध्य और आधे का। हम अपनी अधेड़ उम्र को ऐसा मानें कि आधी बीत चुकी है, आधी बची है। तो जो अब तक नहीं कर पाए, वो इस दौर में कर लीजिए।
जैसे मूर्तिकार पत्थर से मूर्ति बनाते समय छैनी-हथौड़ी से व्यर्थ का पत्थर हटाता है तो आंख, होठ, नाक- सब बाहर निकल आते हैं। हमें भी अब जीवन को ऐसे तराशने का अभ्यास करना चाहिए। खासतौर पर इस उम्र में यह महसूस करें कि जो आधी बची है, उसको तराशें।
और इसके लिए तीन बातों पर रोज काम करें- शरीर, मन और आत्मा। वृद्धावस्था में प्रवेश के पहले यदि होमवर्क ठीक हो गया और आत्मा की अनुभूति होने लगी तो यह पिछली सभी उम्रों से शानदार होगी।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: वृद्धावस्था से पहले जीवन को तराशने का अभ्यास करें

