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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: योग के जरिए भटकते मन को काबू में रख सकते हैं Politics & News

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3 घंटे पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

धर्म से जुड़े हुए लोग आजकल ये दावा करते हुए मिलते हैं कि मंदिरों में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। श्रद्धा-भक्ति के माहौल में उछाल आ गया है। लेकिन उसी समय क्या ये फिक्र की बात नहीं है कि लोग जमकर नशा कर रहे हैं? कोविड के बाद ये आदत और पसर गई है।

पिछले तीन साल में नशा करने वालों की संख्या लगभग तीस प्रतिशत बढ़ गई है। ये उस देश का आंकड़ा है, जिस देश में मंदिरों का भी विस्तार पिछले तीन सालों में जमकर हुआ। आदमी नशा तब करता है, जब वह कुसंग में होता है, तनाव में रहता है या अतिरिक्त मौज-मस्ती के मूड में आ जाता है।

घर के बाहर ड्रग पैडलर्स पंद्रह वर्ष के बच्चों को अपना निशाना बना रहे हैं और घर के भीतर इस उम्र के बच्चों के प्रति माता-पिता लापरवाह होते जा रहे हैं। नशा मनुष्य करता ही इसलिए है कि उसके दौड़ते हुए विचार रुक जाएं, लेकिन नशे में विचार रुकते नहीं, बिखर जाते हैं, जिसको वो रुका हुआ समझते हैं। इसी में उनको मजा आता है, जबकि विचार रुकने पर शांति मिलती है। और वो रुकेंगे योग के अभ्यास से, नशे से तो भ्रम पैदा होता है।

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