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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Mere Logic Or Persuasion Will Not Influence The New Generation
पं. विजयशंकर मेहता
नई पीढ़ी के पास अपनी शब्दावली, सोच, तरीका है। मैं कथाएं करता हूं, तो कभी-कभी कोई कार्यक्रम के लिए सीधे फोन लगा लेता है। एक युवा ने मुझसे कहा, हमें आपका परफॉर्मेंस करवाना है, आपका रेट क्या है? मैं चौंका।
ऐसा आमंत्रण पहली बार सुना। लेकिन मुझे उसके आग्रह का सम्मान भी करना था। तो मैंने उस युवक से पूछा, आप मुझे ही क्यों चाहते हैं? अब एक वक्ता का मूल्यांकन इस नई पीढ़ी के मुंह से सुनकर मैं भी चकित हुआ। उसका कहना था हम ऐसे वक्ता की तलाश में हैं, जो ऑर्गेनाइज्ड स्पीकिंग करे।
एक-एक शब्द नपा-तुला हुआ हो। हमारी श्रवण-शक्ति पर उसकी वाक्-शक्ति भारी पड़े। अब मुझे समझ आ चुका था कि नई पीढ़ी अपने ढंग से न सिर्फ काम करेगी, बल्कि व्यक्तियों को स्वीकार भी करेगी। तर्क करके, समझाकर इस पीढ़ी को प्रभावित नहीं कर सकते।
जब नई पीढ़ी प्रश्न करती है कि ऐसा क्यों करें, तो हमें सोचना चाहिए ये ऐसा क्यों पूछ रहे हैं। उस ‘क्यों’ में दोनों का जवाब है। संभालकर चलिए, हैंडल विद केयर मामला है।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: केवल तर्क या समझाइश से नई पीढ़ी प्रभावित नहीं होगी

