[ad_1]
- Hindi News
- Opinion
- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Achieve Success Where Fame Is Accompanied By Peace
पं. विजयशंकर मेहता
बीजारोपण और वृक्षारोपण अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों के मामले में सावधानी एक जैसी रखनी होती है। पुरानी पीढ़ी के लालन-पालन को हम बीजारोपण कह सकते हैं। पुराने लोग अपने बच्चों को ऐसे बड़ा करते थे, जैसे बीज को धरती में उतारा गया हो।
अब इस दौर के बच्चों का लालन-पालन वृक्षारोपण जैसा है। अब बीज अंकुरित होने में बहुत प्रतिकार करता है। वृक्षारोपण का ढंग थोड़ा सरल है। हमारे बच्चे अब अलग ढंग से तैयार हो रहे हैं। तो उन्हें बीज की तरह ना माना जाए। वो छोटा वृक्ष हो चुके हैं। वो गर्भ में ही कुछ ऐसी बातें सीख चुकते हैं, जिसे एक पीढ़ी को सीखने में 21 साल लगें।
इसलिए जब इन बच्चों का लालन-पालन किया जाए तो वृक्षारोपण की तरह हो। जैसे पढ़ाई-लिखाई की दुनिया में कहते हैं कि मार्कशीट, डिग्री, रिज्यूमे, रेजिग्नेशन, टर्मिनेशन- यह सब कागज और इन सब पर भारी- रुपए का कागज। इन सबके होते हुए भी कुछ ऐसा होना चाहिए कि बच्चे सफलता प्राप्त करें तो शांति भी मिले। परिश्रम और ईमानदारी, ये ऐसी सफलता पर पहुंचाएंगे, जहां प्रसिद्धि के साथ शांति भी होगी।
[ad_2]
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: जहां प्रसिद्धि के साथ शांति भी हो, ऐसी सफलता पाएं
