[ad_1]
- Hindi News
- Opinion
- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Keep God At The Beginning, Middle And End Of Everything
पं. विजयशंकर मेहता
कथाओं के केंद्र में ईश्वर ही होता है। उसकी प्रस्तुति सब अपने-अपने ढंग से करते हैं। इसी से वक्ता की प्रतिष्ठा स्थापित होती है। कुछ वक्ता कथा में गिमिक्स जोड़ लेते हैं- नाच, गाना, किस्से, कहानी। समझदार श्रोता उसमें ईश्वर ढूंढता रहता है। शंकर जी कहते हैं कि सत्संग में ऐसी कथा सुनी जाए, जिसके आदि, मध्य और अंत में भगवान श्रीराम हों- जेहि महुं आदि मध्य अवसाना, प्रभु प्रतिपाद्य राम भगवाना।
इस मामले में व्यास जी, जिन्होंने वेद-पुराण की रचना की- अद्भुत थे। उनका हर दृश्य ईश्वर से आरम्भ होता, मध्य में ईश्वर के दिए हुए संदेश गुजरते और समापन पर पुन: परम-शक्ति को वो स्थापित कर देते। इस हुनर में तुलसीदास जी भी गजब के निकले।
रामचरितमानस में जितने दृश्य आते हैं, अगर हम बारीकी से ढूंढें तो आरम्भ, मध्य और अंत में हम ईश्वर को पा लेंगे। तो क्यों ना हम इस तरीके को जीवन की हर गतिविधि से जोड़ें। जो भी करें, तीनों समय ईश्वर को साथ रखें- आरंभ, मध्य और अंत में।
[ad_2]
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: हर चीज के आरम्भ, मध्य और अंत में ईश्वर को रखें