[ad_1]
- Hindi News
- Opinion
- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column If You Go To The Guru, Then Believe That There Will Be A New Birth
पं. विजयशंकर मेहता
शास्त्रों में लिखा है- आचार्यो मृत्यु:। यानी गुरु के पास जाने पर मृत्यु हो जाती है। हम जैसे होते हैं, गुरु के सान्निध्य में वैसे नहीं रह जाते। और वैसे हो जाते हैं, जैसा हमें होना चाहिए। यही पुनर्जन्म है। गुरु का प्रताप तो ये होता है कि पशु-पक्षी भी गुरु के सामने गुरुभाव से झुक जाते हैं।
शिव जी पार्वती जी को बता रहे थे कि काकभुशुंडि जब कथा सुनाया करते थे तो उनके द्वार पर पक्षी आ जाते थे- बर तर कह हरि कथा प्रसंगा। आवहिं सुनहिं अनेक बिहंगा। बरगद के नीचे वह श्रीहरि की कथाओं के प्रसंग कहता तो वहां अनेक पक्षी आते और कथा सुनते।
यह काकभुशुंडि जी के लिए कहा गया है। गुरु के पास जाएं तो वे हमें हरिकथा ही सुनाते हैं, चाहे गुरुमंत्र के रूप में हो। पशु-पक्षी को यदि गुरु की भाषा समझ आ सकती है तो हम तो मनुष्य हैं। इसलिए जब भी गुरु के सान्निध्य में जाएं तो मानकर चलें कि जो आप थे, शायद वैसे ना रहें। गुरु नया जन्म देगा। इसमें आड़े आएगा अहंकार। गुरु के सामने भी यदि अहंकार नहीं गिरा तो शायद जीवन में कभी परिवर्तन नहीं आएगा।
[ad_2]
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: गुरु के पास जाएं तो मानकर चलें कि एक नया जन्म होगा
