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- Column By Pandit Vijayshankar Mehta If You Are Looking For Peace, Then Do Not Depend On Machines
पं. विजयशंकर मेहता
कितनी ही मुश्किल आन पड़े जीवन में, उसको तुरंत हल करें। उससे भागें नहीं। जब परेशानी आती है तो पीड़ा भी लाती है। पराजय सबको मिलती है और पराजय की पीड़ा तो और अधिक होती है। कुछ लोग रिलैक्स होने का रास्ता निकाल लेते हैं, वो भी ठीक है। फिर आजकल तो जब लोग परेशान होते हैं तो मशीनी दुनिया चुन लेते हैं।
होटलों में स्मार्ट बेड बन गए। स्मार्ट गॉगल आ गए। लगा लो, एक दूसरी दुनिया में ले जाते हैं। कुछ मशीनें तो ऐसी आ गईं कि आपको ऐसा लगता है मालिश हो गई। एक शब्द है कोकूनिंग, एक ऐसा कमरा जिसमें शून्य का वातावरण बन जाता है।
रेन-रूम हो गए हैं होटलों में। पर ये सब मशीनें हैं। और फिर मशीन तो मशीन है। तो यदि आपको परेशानी के दौरान शांति की तलाश हो, रिलैक्स होना चाहें तो बहुत अधिक मशीन पर ना टिकें। परमात्मा को याद करें।
सबसे पहले तो मान लें कि ये भी परमात्मा का विधान है कि हमको पीड़ा मिल रही है। ऐसा भी आभास होगा कि वो दंड देना चाहता है तो उसने माध्यम ये चुना। लेकिन ईश्वर का दंड भी पुरस्कार बन जाता है। इतना भरोसा रखना पड़ेगा।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: यदि शांति की तलाश हो, तो मशीन पर ना टिकें