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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: संसार में रहते हुए भी नए ढंग से सफलता अर्जित करें Politics & News

पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:  संसार में रहते हुए भी नए ढंग से सफलता अर्जित करें Politics & News

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  • Column By Pt. Vijayshankar Mehta Achieve Success In A New Way While Living In The World

14 मिनट पहले

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पं. विजयशंकर मेहता

संसार कठिन है। तो जब समस्याएं आती हैं तो हम भागते हैं। लेकिन पलायन समाधान नहीं है। संसार में रहते हुए संसार का लाभ उठाएं, ये कैसे हो सकता है। तो शिव जी पार्वती जी से कह रहे हैं- उपजइ राम चरन बिस्वासा, भव निधि तर नर बिनहिं प्रयासा।

श्रीराम के चरणों में विश्वास उत्पन्न होता है तो मनुष्य बिना परिश्रम किए संसार-रूपी समुद्र से तर जाता है। पहली बात समझें कि बिना परिश्रम का अर्थ ये नहीं कि आप आलसी हो जाएं। असल में इसका अर्थ है ऊर्जा का सदुपयोग होना।

और संसार-रूपी सागर से पार होने का अर्थ ये नहीं है कि सबकुछ छोड़ना। पकड़ने का ढंग बदल जाता है। तो संसार में शक्तिशाली होना हो तो ऊर्जा का सदुपयोग करें और संसार-सागर से पार जाने में ईश्वर की मदद लें।

सिकंदर जब भारत से जा रहा था तो उसको आश्चर्य हुआ कि मैंने दुनिया जीती, पर भारत के फकीरों ने मुझको तवज्जो नहीं दी। कारण था आध्यात्मिक शक्ति। वही शक्ति हमें मिल जाएगी। ईश्वर पर भरोसा रखें तो संसार में रहते हुए नए ढंग से सफलता पा सकेंगे।

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