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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column How Do You Protect Yourself, This Decision Is Yours To Take
पं. विजयशंकर मेहता
वो बड़े खतरनाक दिन होंगे, जब हमारी तमन्नाओं और आरजुओं को यंत्र तथा घटनाएं चलाएंगी। अब यहां हम यंत्र की बात छोड़ दें, केवल घटनाओं की बात करें। मोबाइल, एआई इन पर तो बहुत कहा जाता है। पर जिस तरह से भीड़ बढ़ रही है, जाम लग रहा है, धार्मिक स्थलों पर अव्यवस्थाएं देखने को मिल रही हैं- उसमें जो लोग दुर्घटनाग्रस्त होते हैं।
हालात से त्रस्त होते हैं, वो सब पीटीएसडी यानी पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के शिकार हो रहे हैं। अभी हमें नहीं दिख रहा, लेकिन एक बड़ा वर्ग इसका शिकार है। भयानक घटना के कारण जो परेशानी होती है, वो भुलाए नहीं भूलती। ऐसे लोगों को ये पीटीएसडी घेर लेता है और वो उससे पीड़ित हो जाते हैं।
अभी भी हमारे देश में 10% लोग होंगे, जो मानकर चलते हैं कि जो हो गया, वो हो गया, अब आगे बढ़ो। 90% उस घटना पर टिक जाते हैं। फिर तनावग्रस्त होते हैं। इसलिए हमें ये जाग्रति लानी चाहिए कि जैसे-जैसे विकास और प्रगति होगी, दुर्घटनाएं बढ़ेंगी। मनुष्य का जीवन दांव पर लगेगा। आप अपने आप को बाहरी और आंतरिक रूप से कैसे बचाते हैं, ये निर्णय आपको लेना है।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: आप अपने को कैसे बचाते हैं, ये निर्णय आपको लेना है