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- Column By Pt. Vijayshankar Mehta There Is A Need To Be Cautious Every Moment In Matters Of The Mind
पं. विजयशंकर मेहता
हमें अपनी आत्मा पर दो बार काम करना चाहिए- सोने के पहले, उठने के बाद। फिर शरीर पर चार बार काम करना चाहिए- स्नान, पूजन, भोजन, शयन के समय। लेकिन मन पर प्रतिपल काम करना पड़ेगा। मन का मामला ऐसा है कि आपने जरा-सा मौका दिया तो मन काम दिखा जाएगा। सवाल उठता है मन पर प्रतिपल किन बातों का काम किया जाए।

पहला, मौन साधने से मन नियंत्रित होता है। दूसरा, क्षमा का स्वभाव रखें। तीसरा, व्यवहार में धैर्य रखें। और चौथा, गंदे विचारों को तुरंत रोकें। मन की गड़बड़ का प्रभाव शरीर पर पड़ता है। शरीर जब बीमार होता है तो डॉक्टर की औषधि, मन का संयम और शरीर की सावधानी- इससे आप ठीक हो जाएंगे। लेकिन मन के प्रभाव से बीमार हुए तो इलाज आप ही को करना पड़ेगा।
शरीर एडजस्ट हो जाता है, मन के लिए बहुत स्ट्रिक्ट होना पड़ता है और आत्मा पर जाकर आप रिलेक्स होते हैं। इसलिए मन के मामले में प्रतिपल सावधान रहें। क्योंकि मन जो भीतर करता है, ये बाहर किसी को पता नहीं लगने देता।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: मन के मामले में प्रतिपल सावधान रहने की जरूरत है