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- Column By Pandit Vijayshankar Mehta Marriage Is An Opportunity To Correct Flaws And Enhance Virtues
पं. विजयशंकर मेहता
जैसे-जैसे हमारे पारिवारिक जीवन में उपद्रव और अधिक होने लगेंगे, तब हमें पता लगेगा कि हमारी संस्कृति में विवाह संस्था का क्या महत्व है? आज ये संस्था दांव पर लग गई। वेडिंग भारत की चौथी बड़ी इंडस्ट्री तो बन गई, लेकिन लोगों को इसके सात वचन याद नहीं हैं।

अब जब बच्चों की शादी हो रही हो तो उनके माता-पिता और बच्चे सप्तपदी के मंत्रों को समझें। जिस तरह वेडिंग इवेंट में रिहर्सल की जाती है, होने वाले दूल्हा-दुल्हन, परिवार के लोग खूब तैयारी करते हैं, उस समय ये मंत्र भी याद किए जाएं।
आजकल अपने बच्चों के दोष छिपाकर, गुण बताकर विवाह कर दिया जाता है। और कीमत बच्चे भी चुकाते हैं, माता-पिता भी चुकाते हैं और एक ऐसा परिवार चुकाता है, जहां आपने बेटी दी है या बेटी लाए हैं। कोई कितनी जासूसी करे एक-दूसरे की, कितनी ही जानकारी निकाल लीजिए, पर कुछ दोष तो साथ में रहने पर ही समझ में आते हैं। यदि विवाह को संस्कार मानेंगे तो दोष को संवारने का मौका दिया जाएगा और गुण को निखारने का। इसी का नाम विवाह से बसा हुआ परिवार है।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: दोष संवारने व गुण निखारने का अवसर है विवाह