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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Think With Concentration And Keep A Fast Pace
पं. विजयशंकर मेहता
आजकल काम करने वाले लोग मिलते ही नहीं हैं। निरक्षर और कम पढ़े-लिखे लोगों को जो काम करना चाहिए, वो नहीं करते, क्योंकि उनको तमाम सरकारी सुविधाएं प्राप्त हो गई हैं। पढ़ी-लिखी नई पीढ़ी के बच्चे भी एक अजीब किस्म की जिद के साथ नौकरी करते हैं।

अपनी इच्छा, अपनी मर्जी से काम करते हैं। जरा-सा ऊंचा बोल दो, उससे भी ऊंचा जवाब देकर चले जाएंगे। जो पढ़े-लिखे होते हैं, उनकी पढ़ाई भी बड़ी सतही होती है। लोग मानव-संसाधन से त्रस्त होते जा रहे हैं। होना तो यह चाहिए कि अगर आप सब-आर्डिनेट हैं तो बॉस को व्यस्त रखिए, त्रस्त मत करिए।
और यदि बॉस हैं तो सब-आर्डिनेट को चुस्त रखिए, त्रस्त मत करिए। लेकिन लगता है इन दिनों दोनों ही एक-दूसरे को त्रस्त कर रहे हैं। त्रस्त वो होते हैं, जो तेज चलते हैं और संतुलन खो देते हैं। धीरे सोचें, यानी एकाग्रता से चिंतन करें और तेज गति रखें। हनुमान जी संदेश देते हैं मनुष्य को तन सक्रिय और मन विश्राम में रखना चाहिए, तो ना आप त्रस्त होंगे और ना दूसरों को त्रस्त करेंगे।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: एकाग्रता के साथ चिंतन करें और तेज गति रखें