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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Be Careful While Evaluating Any Sadhu
2 घंटे पहले

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पं. विजयशंकर मेहता
इन दिनों धार्मिक गतिविधियां बहुत बढ़ गई हैं। समाज में साधु-संतों का आना-जाना, दिखना ज्यादा हो गया है। यदि आप सामान्य मनुष्य हैं तो जब किसी साधु को देखें तो उसका मूल्यांकन करने में सावधानी रखें। क्योंकि संत यदि सक्रिय दिखे तो उसे बेचैन मत समझना।
यह मत मान लेना कि वो भी तामसी वृत्ति में लगा है, रजोगुणी है। और संत निष्क्रिय दिखे तो उसे आलसी न मान लीजिए। हो सकता है उसके भीतर मौन और शांति घटी है। लेकिन हमारी आदत होती है कि हम जैसे होते हैं, वैसा ही दूसरे को देखने लगते हैं। ज्यादातर मौकों पर हम अपनी ही छवि दूसरों में डालकर देखते हैं।
दूसरे के व्यक्तित्व का निर्णय करते समय हम अपना ही फैलाव कर लेते हैं। तो चूंकि इस समय साधु-संतों का समाज में हस्तक्षेप, गतिविधियां बढ़ गई हैं, इसलिए जितनी समझ अन्य विषयों की रखी जाए, साधु-संतों के आचरण की भी रखी जाए।
उनको परखने में कोई कमी मत रखिए, लेकिन उनका अपमान न करें। क्योंकि हो सकता है इस भूल के कारण एक अच्छा व्यक्ति हमारे जीवन से अकारण दूर चला जाएगा। साधु का संग हरि कृपा है।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: किसी साधु का मूल्यांकन करने में सावधानी रखें