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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: बच्चों के साथ लय में बात करें, लोरी इसका प्रमाण है Politics & News

पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:  बच्चों के साथ लय में बात करें, लोरी इसका प्रमाण है Politics & News

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29 मिनट पहले

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पं. विजयशंकर मेहता

वैसे तो माता-पिता सदैव शाबासी ही देते हैं, लेकिन बच्चों को चाहिए हमेशा ऐसे काम करते रहें कि शाबासी मिलती रहे। वो दुआ बनकर जीवन को संवार देती हैं। बच्चों के लालन-पालन में माता-पिता को सिखाया जाता है कि सात महीनों तक बच्चों से जो बात करें, उसमें शब्द लय के साथ हों।

जैसे गीतकार गीत लिखते हैं, संगीतकार उस पर संगीत तैयार करते हैं। लेकिन ज्यादातर मौकों पर संगीतकार धुन पहले तैयार करते हैं, गीतकार उस पर लिखते हैं। तो बच्चों के साथ लय में बात की जाए, लोरी इसका प्रमाण है। बच्चे लोरी के शब्द बहुत जल्दी पकड़ लेते हैं और जीवनभर ये शब्द उनके रक्त में बहते हैं।

जब बच्चे युवा हो जाएं तो माता-पिता इसी लोरी को चेतावनी में बदल दें। जब माता-पिता बूढ़े हो जाएं और बच्चे प्रौढ़ हो जाएं, तो इन शब्दों को सुझाव में बदल दें। लेकिन तीनों समय एक लय होनी चाहिए। यह हार्मनी बच्चों के जीवनभर काम आएगी। डीएनए साइंस भी मानता है माता-पिता के शब्द गहरे में जाकर पैठते हैं और समय आने पर प्रभाव दिखाते हैं।

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