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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Read Such Literature Which Has A Positive Impact On Us
पं. विजयशंकर मेहता
मनुष्य जो देखता-सुनता है, वो दृश्य-शब्द जब वो भीतर महसूस करता है, तो उसके मिरर न्यूरोन्स पर वो अंकित हो जाते हैं। जब हम कोई अच्छी चीज देखते हैं, अच्छी बात सुनते हैं, तो आनंद में डूब जाते हैं, निर्भय हो जाते हैं, आत्मविश्वास से भर जाते हैं। और जब भी कोई अप्रिय दृश्य देखते या सुनते हैं तो उदास, चिड़चिड़े हो जाते हैं, अवसाद में डूब जाते हैं।
शंकर जी ने पार्वती जी को जब रामकथा सुनाई तो समापन पर पार्वती जी ने शंकर जी से कहा- धन्य धन्य मैं धन्य पुरारी। सुनेउँ राम गुन भव भय हारी। हे त्रिपुरारि, मैं धन्य हूं, जो मैंने जन्म-मृत्यु के भय को हरण करने वाले श्रीराम के गुण-चरित्र सुने।
पार्वती बिलकुल सही कह रही हैं कि मैं धन्य हो गई, भयमुक्त हो गई। धन्य होने का अर्थ है इतना आनंद आया कि इसके बाद कुछ करने, सोचने के लिए नहीं रहा। और भयमुक्त तो होना ही चाहिए। इसलिए ऐसा साहित्य पढ़ें, ऐसी बातें देखें-सुनें, जो हमारे भीतर पॉजिटिव प्रभाव रखें। रामकथा उन्हीं में से एक है।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: ऐसा साहित्य पढ़ें, जो हम पर सकारात्मक प्रभाव डाले