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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column The First Sight Of India Should Not Be A Bar
पं. विजयशंकर मेहता
हमारे देश में लगातार धार्मिक स्थानों पर कॉरिडोर बन रहे हैं। लेकिन जब विदेश से भारत आएं तो हमारे यहां दो बड़े एयरपोर्ट पर प्रवेश करते ही शराब की दुकानों के कॉरिडोर दिखते हैं। मैं जब नाइजीरिया से लौट रहा था तो मेरे साथ कुछ विदेशी यात्री थे।
उन्होंने टिप्पणी की कि लगता नहीं भारत आए हैं। इस पर सरकार को विचार करना चाहिए। भारत का पहला दर्शन शराब की बोतलें तो नहीं होना चाहिए। मुझे पिछले दिनों नाइजीरिया में गीता और महाभारत पर प्रवचन करना था। तो वहां एक युवक ने मुझसे आकर कहा कि हमारे देश में अभी भी ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि जो किस्मत में लिखा है वो बदला नहीं जा सकता। और जो हमारा है उसे कोई छीन नहीं सकता।
कृष्ण ने कहा था आत्मा हमारी सबसे बड़ी दौलत है, जिसको कोई नहीं छीन सकता। युवक ने कहा कि देश के लोगों ने इसका गलत अर्थ लिया। हम घोर गरीबी-अव्यवस्था भुगत रहे हैं, क्योंकि बातों का अर्थ सही नहीं समझा। तो कम से कम इस पर विचार किया जाए कि हमारे देश में एयरपोर्ट पर जब भी प्रवेश करें तो ऐसा लगे कि हम भारत में आए हैं मदिरालय में नहीं।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: भारत का पहला दर्शन तो मदिरालय नहीं होना चाहिए