[ad_1]
- Hindi News
- Opinion
- Column By Pt. Vijayshankar Mehta When We Are Struggling In Life, We Should Not Give Up Happiness
पं. विजयशंकर मेहता
जीवन बहुत विरोधाभासी है। एक चुनौती तो यह है कि आप जिस परिणाम के लिए कुछ कर रहे होते हैं, नतीजा उसका उलटा मिलता है। फिर उस असफलता में वापस सफलता ढूंढना समझ और योग्यता मानी जाएगी। राम इस बात में बड़े अनूठे थे।

नारद ने राम की प्रशंसा में कहा था- रावनारि सुखरूप भूपबर। जय दसरथ कुल कुमुद सुधाकर।। अपने बाहुबल से आपने पृथ्वी का बोझ हरा। खर-दूषण, विराध जैसों का वध करने में आप कुशल थे। सबसे बड़े शत्रु रावण को पराजित किया। अब नारद ने दो बातें और बोलीं। एक तो आप दशरथ की अद्भुत संतान हैं।
और दूसरा, सदैव आनंदस्वरूप हैं। तो राम एक तरफ योद्धा भी हैं, दूसरी तरफ बहुत अच्छे पुत्र हैं और तीसरी तरफ प्रसन्न व्यक्ति हैं। राम से यही सीखना है। जीवन में जब संघर्ष कर रहे हों तो आनंद न छोड़ें। आंतरिक प्रसन्नता भंग न होने दें। कौरवों-पांडवों की सेना जब आमने-सामने खड़ी थी, तब भी कृष्ण गीता बोल गए। जीवन में विरोधाभास तो आएगा, सकारात्मकता हमको निकालनी होगी।
[ad_2]
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: जीवन में जब हम संघर्ष कर रहे हों तो आनंद न छोड़ें