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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Enter Marriage With Patience, Understanding And Dedication
पं. विजयशंकर मेहता
हिंदू धर्म में गृहस्थी को त्रिगुण से प्रभावित बताया है। जब दाम्पत्य जीवन में तमोगुण अधिक होता है तो तलाक हो जाता है। रजोगुण ज्यादा हो जाता है तो मतभेद बढ़ने लगते हैं। और सतोगुण अधिक रहे तो फिर सुख उतरता है।
बहुत सोच-समझकर ऋषि-मुनियों ने विवाह को संस्कार माना है और समय से जोड़ा है। इसीलिए विवाह की उम्र तय की गई। विलम्ब से विवाह करना अशांति का कारण बन सकता है। पहले विवाह-समारोह सात दिन तक चला करते थे। कई रस्में होती थीं।

रिश्तेदारों की भीड़ इकट्ठी होती थी। इस सबके पीछे मनोवैज्ञानिक कारण था। अब तो लोगों ने मान लिया है कि रिश्ते बीमार हों तो इलाज तलाक है। कई लोग मजबूरी में तलाक ले रहे हैं और कुछ लोग मजबूरी में ही तलाक नहीं ले पा रहे हैं।
लेकिन भारत आज भी इस पर गर्व कर सकता है कि हमारे यहां तलाक की दर 1% है। अभी भी विवाह नामक संस्था का बहुत सम्मान है। नई पीढ़ी धैर्य, समझ, समर्पण लेकर वैवाहिक जीवन में प्रवेश करे।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: धैर्य, समझ और समर्पण लेकर विवाह में प्रवेश करें