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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Bring Balance Within Yourself, Because The Weather Is Changing
27 मिनट पहले

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पं. विजयशंकर मेहता
हमारे शास्त्रों में लिखा है, सिद्ध पुरुष प्रलय काल में भी विचलित नहीं होते हैं। यानी दुनिया उलट-पुलट हो जाए, विपरीत की पराकाष्ठा आ जाए, और तब भी आप सहज और सामान्य बने रहें। मेडिकल की दुनिया में एक शब्द चलता है- एसएडी यानी सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर।
कई लोग इससे पीड़ित हैं। एक मौसम हमारे भीतर भी होता है। जब हम सर्दी से गर्मी, गर्मी से बारिश और बारिश से सर्दी के मौसम में प्रवेश कर रहे होते हैं, तो मौसम केवल आसमान पर नहीं बदलता, हमारे शरीर, हमारी मानसिकता में भी बदलता है।
कई बार तो लोगों पर इस संधिकाल में बेचैनी और उदासी हावी हो जाती है। और मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले ये लक्षण ज्यादा होते हैं। मौसम परिवर्तन से महिलाओं की पारिवारिक दिनचर्या भी प्रभावित होती है।
इसलिए माताओं-बहनों को चाहिए कि जब भी मौसम बदले, वे अपने भीतर खूब संतुलन पैदा करें। अभी तो हमारे जीवन में इतना असंतुलन है कि मौसम इतना गर्म नहीं था, जितनी ठंडक हम अपने भीतर पैदा कर लेते हैं। असंतुलन से बचिए। अपने भीतर संतुलन लाइए।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: अपने भीतर संतुलन लाइए, क्योंकि मौसम बदल रहा है