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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column Sleep And Wake Comfortably And Do Both These Tasks On Time
2 घंटे पहले

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पं. विजयशंकर मेहता
आज बच्चों को माता-पिता डांट-डपटकर, पुचकारकर सुलाते हैं। और बच्चों को उठाने के दृश्य तो निराले ही हो गए हैं। सुबह-सुबह माता-पिता को पूरी ताकत झोंकनी पड़ती है, तब जाकर नौनिहाल बिस्तर पर एक करवट लेते हैं।
यह जो झंझट है- सोने और उठने की, इसके परिणाम आगे आएंगे। नींद का प्राकृतिक चक्र आहत होता जा रहा है और इसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा। 10-15 साल बाद इस पीढ़ी के भीतर जो चिड़चिड़ापन बढ़ जाएगा, उदासी उतरेगी, उसके पीछे नींद का भी योगदान होगा।

नींद के मामले में इंसान को समझ होनी चाहिए कि सहजता से सोएं-जागें और ये दोनों काम समय पर हों। वह समय प्रकृति की घड़ी से तय होगा। सूर्योदय के साथ उठें, भोजन के 2-3 घंटे बाद सोएं, और 7 से 8 घंटे की नींद लें। यह क्रिया अपने आप में औषधि है।
इसे ऋषि-मुनियों ने अपनी आत्मा के साथ सोना कहा है। हम या तो अपने शरीर के साथ सोते हैं या किसी और के, लेकिन यदि सोने से पहले योग करें और उठने के बाद छोटा-सा मेडिटेशन करें, तो समझ जाएंगे कि हम अपनी आत्मा के साथ भी सो सकते हैं।

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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: सहजता से सोएं-जागें और ये दोनों काम समय पर हों