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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column The Older Generation Should Give Value based Advice, Not Action based
पं. विजयशंकर मेहता
बुढ़ापे में शरीर में जो भी खतरे होते हैं, उनके अलावा एक खतरा है अधिक लाड़ करने का। भारत के कई घरों में बुजुर्ग पीढ़ी- जो दादा-दादी, नाना-नानी बन चुके हैं, मध्य पीढ़ी- जो अभी माता-पिता बने हुए हैं, और सबसे छोटे यानी बच्चे- तीनों आमने-सामने हो गए हैं।
मामला है अधिक लाड़ का। बच्चे देखते हैं कि हमें लाड़ के मामले में ये दो पीढ़ियां आपस में उलझ रही हैं, तो वो इसका फायदा उठाते हैं, जिसका भविष्य में नुकसान होता है। इसमें सबसे अधिक बात बुजुर्गों को समझनी है कि एक्शन-बेस्ड एडवाइस न दें। जीवनशैली बदल चुकी है।
अब जो माता-पिता हैं, वे अपने बच्चों का लालन-पालन वैसा नहीं करेंगे, जैसा आपने उनका किया। लेकिन वैल्यू-बेस्ड सलाह देते रहिए। मूल्य और संस्कार बुजुर्ग पीढ़ी के पास अधिक हैं, और वे इन्हें दे भी सकते हैं। पहले 80% नियम सुधारने के और 20% गतिविधियां बिगाड़ने की होती थीं।
अब यह उल्टा हो गया है। तो वृद्धों के रूप में आप केवल पॉजिटिव एनर्जी अपने बच्चों के बच्चों में डाल दीजिए। उनके लालन-पालन के नियम-कायदे उनके माता-पिता तय करते रहेंगे।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: बुजुर्ग पीढ़ी एक्शन-बेस्ड नहीं वैल्यू बेस्ड सलाह दे