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- Pt. Vijayshankar Mehta’s Column See The Truth Behind Devbhasha And Rajbhasha
9 मिनट पहले

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पं. विजयशंकर मेहता
राजनीति का धर्म है कि हर विषय को लपेटे में ले ले। उसका उपयोग, सदुपयोग और दुरुपयोग- तीनों कर ले। यही काम इन दिनों भाषा के साथ हो रहा है। कुछ राजनेता भाषा को शस्त्र बनाकर युद्ध लड़ना चाहते हैं। हमें गर्व है कि हमारे पास देवभाषा है- संस्कृत और राजभाषा है- हिंदी।

इन दोनों भाषाओं के जानकार इस समय देश-प्रदेश के प्रमुख पदों पर हैं। संभवत: उन्हें उतनी अंग्रेजी नहीं आती, जितनी आज दुनिया में आगे बढ़ने के लिए जरूरी है, लेकिन फिर भी वे कामयाब हुए। क्योंकि ये दोनों भाषाएं अपने आप में कहीं मंत्र बन जाती हैं। जब विभीषण श्रीराम की शरण में आए तो सबने उन पर संदेह किया कि यह शत्रु का भाई है।
श्रीराम ने हनुमान जी की सलाह ली तो हनुमान जी ने कहा था कि ये जो बोल रहे हैं, हमें इनकी भाषा समझनी पड़ेगी। भाषा समझ में आती है वाणी से, वाणी के पीछे होते हैं शब्द, शब्द के पीछे स्वर, स्वर के पीछे विचार और विचार के पीछे सत्य होता है। तो कम से कम संस्कृत और हिंदी के पीछे जो सत्य है, उसे राजनीतिक असत्य में बदलने का प्रयास न किया जाए।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: देवभाषा और राजभाषा के पीछे जो सत्य है, उसे देखें