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पंजाब यूनिवर्सिटी में स्टूडेट्स बैठकर बात करते हुए।
पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) से एफिलिएटेड आधे से ज्यादा कॉलेजों में इस बार पुराने कोर्स की ऑनलाइन जांच की जाएगी। पीयू प्रशासन ने कॉलेजों से संबंधित पुराने कोर्स के लिए डॉक्युमेंट्स ऑनलाइन मंगवाए हैं। वहीं, नए कोर्स और नए कॉलेजों की फिजिकल इंस्पेक्शन के ल
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हर साल जहां करीब 150 से 160 टीमें जांच के लिए बनाई जाती थीं, इस बार संख्या घटाकर लगभग आधी कर दी गई है। पीयू से लगभग 200 कॉलेज एफिलिएटेड हैं। हर साल कॉलेजों में चल रहे कोर्स के इन्फ्रास्ट्रक्चर और नियमों की जांच के लिए फिजिकल टीम भेजी जाती थी।
परंतु इस बार पुराने कोर्स के लिए ऑनलाइन डॉक्यूमेंट्स के आधार पर ही एफिलिएशन की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। केवल नए कोर्सों और नए कॉलेजों की ही फिजिकल इंस्पेक्शन होगी। यदि इन्फ्रास्ट्रक्चर पूरा नहीं पाया गया, तो कॉलेज को नया कोर्स शुरू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
टीम गठन को लेकर पहले होती थी सियासत पहले जांच टीमों में नाम न आने को लेकर सीनेटरों में भारी असंतोष रहता था। पीयू की सीनेट और सिंडिकेट की बैठकों में इस मुद्दे को लेकर बहस और मनमुटाव आम हो गया था। आरोप लगाए जाते थे कि जांच टीमों के गठन में भेदभाव हो रहा है। लेकिन अब ऑनलाइन जांच प्रणाली लागू होने से टीमों की संख्या कम हो गई है, जिससे ऐसे विवादों की गुंजाइश भी कम हो गई है।
गौरतलब है कि इस समय पीयू में सीनेट भी नहीं है। ऐसे में कोई भी पूर्व सीनेटर अपनी आपत्ति किसी भी प्लेटफॉर्म पर नहीं उठा पा रहा है। एफिलिएशन की प्रक्रिया के तहत कॉलेजों को नए कोर्स शुरू करने से पहले अनुमति लेनी अनिवार्य होती है, ताकि कॉलेज अपने प्रॉस्पेक्ट्स में सही जानकारी प्रकाशित कर सकें।
पंजाब यूनिवर्सिटी।
एफिलिएशन से पहले कोर्स शुरू कई कॉलेजों में हर साल देखा जाता है कि एफिलिएशन प्रक्रिया में देरी के बावजूद कॉलेज प्रबंधन नए कोर्स की घोषणा कर देता है और स्टूडेंट्स के एडमिशन भी शुरू कर देता है। बाद में यदि जांच में कमियां पाई जाती हैं तो सत्र के बीच में कोर्स बंद करना संभव नहीं होता, जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है।
जांच के दौरान उठते हैं ऑब्जेक्शन एफिलिएशन के लिए कॉलेजों को अक्टूबर और नवंबर महीने में आवेदन करना होता है। जांच के दौरान अक्सर कॉलेजों को शिक्षकों और स्टाफ की नियुक्ति, कोर्स से संबंधित लैब और लाइब्रेरी निर्माण जैसे आवश्यक प्रावधान पूरे करने के निर्देश दिए जाते हैं। यदि कॉलेज मानकों पर खरे नहीं उतरते तो उनकी एफिलिएशन रोकी जा सकती है।
डीन कॉलेज डिवेलपमेंट काउंसिल (डीसीडीसी) डॉ. संजय कौशिक ने बताया कि ट्रायल के तौर पर दो कॉलेजों की ऑनलाइन जांच के बाद एफिलिएशन दी गई है। ट्रायल के दौरान ऑनलाइन जांच में आने वाली समस्याओं को भी परखा गया है। जल्द ही बाकी कॉलेजों को भी इस प्रक्रिया के तहत एफिलिएशन दी जाएगी
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पंजाब यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड कॉलेजों की ऑनलाइन होगी जांच: नए कोर्स फिजिकल इंस्पेक्शन के लिए 70 से 80 टीमें गठित, डॉक्युमेंट्स मंगवाए – Chandigarh News
