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पंजाब के 5 नगर निगमों में कल शनिवार काे हुई वोटिंग में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस मुख्य मुकाबले में रहीं। AAP को सिर्फ पटियाला में बहुमत मिला। जहां उसे 60 में से 43 सीटें मिलीं। यहां 7 वार्डों में चुनाव नहीं हुआ था।
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बाकी 4 नगर निगमों जालंधर, अमृतसर, लुधियाना और फगवाड़ा में किसी को बहुमत नहीं मिला। हालांकि जालंधर और लुधियाना में AAP और फगवाड़ा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी है। जालंधर में कांग्रेस और AAP के बीच कड़ा मुकाबला रहा तो भाजपा ने भी यहां मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।
इस चुनाव की सबसे अहम बात यह रही कि पंजाब के वोटरों ने ‘जिसकी सरकार, उसका नगर निगम’ वाली परंपरा को भी बदलकर रख दिया। सत्ता में बैठी AAP को एक नगर निगम को छोड़कर कहीं भी बहुमत नहीं मिला। ऐसे में प्रदेश में पार्टी की सरकार से लेकर विधायकों की कारगुजारी तक पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पूर्व कांग्रेसी मंत्री भारत भूषण आशू और उनकी पत्नी ममता आशू।
चुनाव में इन बड़े नेताओं या उनके रिश्तेदारों की हार और जीत… – लुधियाना के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू की पत्नी ममता आशू 168 वोट से चुनाव हार गईं। – लुधियाना निगम चुनाव में ही AAP के विधायक अशोक पप्पी पराशर की पत्नी मीनू पराशर 574 वोट और गुरप्रीत गोगी की पत्नी सुखचैन बस्सी 86 वोटों से चुनाव हार गई। – जालंधर में कांग्रेस छोड़ आप में गए पूर्व मेयर जगदीश राजा और उनकी पत्नी अनीता राजा चुनाव हार गईं। – जालंधर में पूर्व मेयर कमलजीत भाटिया की पत्नी भी चुनाव हार गईं। हालांकि यहां से पूर्व विधायक व कांग्रेस के प्रधान राजिंदर बेरी की पत्नी चुनाव जीत गईं।
पांचों नगर निगमों में मेयर बनाने का गणित
पटियाला: यहां AAP ने 60 में से 43 वार्डों में जीत हासिल की। यहां बहुमत के लिए 31 सीटों की जरूरत थी। ऐसे में यहां AAP का मेयर बनना तय है।
लुधियाना: यहां 95 वार्ड के चुनाव में आप ने सबसे ज्यादा 41 सीटें जीती हैं। बहुमत के लिए 48 सीटें चाहिए। यहां अन्य 3 को मिलाकर भी AAP का मेयर नहीं बन रहा। यहां से कांग्रेस को 30, भाजपा को 19 और अकाली दल को 2 सीटें मिली हैं।
जालंधर: यहां मेयर पर पेंच फंसा हुआ है। 85 वार्डों में से 39 पर AAP ने जीत हासिल की। 24 कांग्रेस और 19 भाजपा ने जीते हैं। 2 पर निर्दलीय और 1 बसपा जीत है। यहां बहुमत के लिए 43 सीटें चाहिए। AAP अगर निर्दलियों को साथ जोड़ भी लेती है तो भी उनके पास एक सीट कम पड़ रही है।
अमृतसर : यहां की 85 में से 40 सीटों पर कांग्रेस जीती है। हालांकि 46 का बहुमत पाने के लिए कांग्रेस को 6 पार्षद और चाहिए। AAP ने यहां 24, भाजपा ने 9 और अकाली दल ने 8 सीटें जीती हैं।
फगवाड़ा: यहां के 50 वार्डों के चुनाव में 21 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी है। मगर, बहुमत के लिए 26 सीटें चाहिए। 12 सीटें यहां AAP, 4-4 पर भाजपा और अकाली दल व 9 सीटें अन्य ने जीती हैं।
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पंजाब में ‘जिसकी सरकार-उसका निगम’ रिवाज बदला: AAP को सिर्फ 1 निगम में बहुमत, लुधियाना-जालंधर समेत 4 निगमों में मेयर पर पेंच फंसा – Amritsar News