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टर्बन टॉरनेडो के नाम से दुनियाभर में अपने अद्भुत मैराथन रिकॉर्ड्स के लिए मशहूर एथलीट फौजा सिंह का निधन हो गया। सोमवार को 114 साल के फौजा सिंह को जालंधर में उनके घर के बाहर एक अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी। वह सैर के लिए निकले थे। गंभीर रूप से घायल फौजा
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पुलिस ने उनके बेटे की शिकायत पर अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। फौजा सिंह ब्यास पिंड में अपने बेटे के साथ रहते थे। यहीं आज उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
एक्सीडेंट के बाद इलाज के लिए पहुंचे फौजा सिंह की अस्पताल से यह फोटो सामने आई है। यहीं पर उनकी मौत हो गई।
फौजा सिंह के सिर पर लगी थी चोट फौजा सिंह के सिर, छाती और पसलियों पर गंभीर चोटें आईं थी। जिस कारण उनकी मौत हुई। पारिवारिक सदस्यों के अनुसार फौजा सिंह सोमवार को दोपहर तीन बजे खाना खाने के बाद सैर करने के लिए घर से निकले थे। इस दौरान वह जब हाईवे पर पहुंचे तो कार ने उन्हें साइड मार दी।
परिवार के मुताबिक फौजा सिंह के पास इंग्लैंड की सिटिजनशिप थी। कोरोना के बाद वह विदेश बहुत कम जाते थे, अब वह अपने बेटे के साथ जालंधर में ही रहते थे। उनके बेटे और बेटी यूके और कनाडा में रहते हैं।
पुलिस बोली- कार का पता लगा रहे आदमपुर थाने के SHO हरदेव सिंह ने बताया है कि फौजा सिंह के बेटे ने पुलिस को जानकारी दी गई थी। इसके बाद जांच के लिए टीमें मौके पर पहुंच गई थीं। फिलहाल, उस कार का पता नहीं चल पाया है, जिसने फौजा सिंह को टक्कर मारी है। हम मामले की जांच कर रहे हैं। मामले में FIR दर्ज कर ली गई है।

फौजा सिंह को लेकर अस्पताल पहुंचे परिजन और सूचना पाकर पहुंची पुलिस।
90 साल की उम्र में पहली मैराथन पूरी की फौजा सिंह का जन्म 1911 में पंजाब के जालंधर जिले के ब्यास पिंड में हुआ था। वह पूरी दुनिया में एक मिसाल बने, जब उन्होंने 90 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैराथन दौड़ना शुरू किया। उनकी कड़ी मेहनत और अदम्य साहस ने उन्हें ‘टर्बन टॉरनेडो’ (पगड़ीधारी तूफान) के नाम से मशहूर कर दिया।
फौजा सिंह ने 90 साल की उम्र में अपनी पहली मैराथन दौड़ पूरी की थी। 2004 में उन्होंने 93 साल की उम्र में लंदन मैराथन पूरी की। 2011 में 100 साल की उम्र में उन्होंने टोरंटो मैराथन पूरी की और 100+ की कैटेगरी में रिकॉर्ड बनाया। वह अब तक के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक माने जाते हैं, जिन्होंने कई मैराथन दौड़ें पूरी कीं।
बेटा-बेटी और पत्नी की मौत ने दौड़ने पर मजबूर किया फौजा सिंह ने अपने जीवन में कई व्यक्तिगत दुख झेले, जिन्होंने उन्हें दोबारा दौड़ने के लिए प्रेरित किया। अगस्त 1994 में उनके पांचवें बेटे कुलदीप की एक निर्माण हादसे में मौत और उससे पहले 1992 में उनकी पत्नी तथा सबसे बड़ी बेटी के निधन ने उन्हें गहरे सदमे में डाल दिया। इन्हीं दुखों ने उन्हें 1995 में फिर से दौड़ने का संकल्प लेने के लिए मजबूर किया। 1990 के दशक में वह इंग्लैंड चले गए और अपने बेटे के साथ इलफोर्ड में रहने लगे।

फौजा सिंह के पास इंग्लैंड की सिटिजनशिप भी थी।
89 साल की उम्र में शुरू की अंतरराष्ट्रीय मैराथन दौड़ 89 साल की उम्र में उन्होंने गंभीरता से दौड़ना शुरू किया और अंतरराष्ट्रीय मैराथन में हिस्सा लेने लगे। जब वह पहली बार ट्रेनिंग के लिए रेडब्रिज, एसेक्स पहुंचे, तो थ्री-पीस सूट पहनकर आए। कोच को उनकी पूरी तैयारी, यहां तक कि कपड़े भी बदलने पड़े। फौजा सिंह ने अपनी पहली दौड़ 2000 में लंदन मैराथन के रूप में पूरी की।
विश्व रिकॉर्ड बनाया, 90 की उम्र के बाद विज्ञापन किए 93 साल की उम्र में उन्होंने एक मैराथन 6 घंटे 54 मिनट में पूरी की, जो 90 से ऊपर की उम्र में दर्ज सर्वश्रेष्ठ समय से 58 मिनट बेहतर था। उसी साल 2004 में वह एडिडास के एक विज्ञापन अभियान में डेविड बेकहम और मोहम्मद अली के साथ नजर आए। 94 साल की उम्र में उन्होंने 200 मीटर से 3000 मीटर तक की दौड़ों में ब्रिटेन के रिकॉर्ड तोड़े।
100 की उम्र में बनाए 8 रिकॉर्ड 100 साल की उम्र में फौजा सिंह ने कनाडा के टोरंटो में आयोजित एक स्पेशल इवेंट में एक ही दिन में आठ विश्व रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने 100 मीटर से लेकर 5000 मीटर तक की दौड़ों को नए मापदंडों के साथ पूरा किया। 3 दिन बाद उन्होंने टोरंटो वाटर फ्रंट मैराथन पूरी कर दावा किया कि वह 100 साल की उम्र में मैराथन पूरी करने वाले पहले व्यक्ति हैं।
उनकी जीवनी टर्बन्ड टॉरनेडो 2011 में ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लॉन्च की गई। इसी साल वह PETA के अभियान में सबसे उम्रदराज पुरुष बने। 2012 में मलेशिया में आयोजित 101 एंड रनिंग थीम वाले इवेंट में वह सम्मानित मेहमान बने और द ब्रांड लॉरेट अवॉर्ड से नवाजे गए।
प्रतिस्पर्धात्मक दौड़ से संन्यास 2013 में 102वें जन्मदिन से कुछ सप्ताह पहले उन्होंने हॉन्गकॉन्ग मैराथन में 10 किलोमीटर दौड़ 1 घंटे 32 मिनट में पूरी की और प्रतिस्पर्धात्मक दौड़ से संन्यास लेने की घोषणा की। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि वह सेहत, आनंद और चैरिटी के लिए दौड़ते रहेंगे।

जालंधर जिला प्रशासन ने सरकार की ओर से जारी किया बयान फौजा सिंह की मौत होने पर जालंधर प्रशासन ने सरकार की तरफ से दुख जताया। जिसमें कहा गया कि महान मैराथन धावक और दृढ़ संकल्प तथा उम्मीद के प्रतीक सरदार फौजा सिंह के निधन से हम गहरे शोक में हैं। दिसंबर 2024 में उनके पैतृक गांव ब्यास से शुरू हुए दो दिवसीय ‘नशा मुक्त रंगला पंजाब’ मार्च के दौरान उनके साथ चलने का हमें भी सौभाग्य मिला। उस समय भी उनकी उपस्थिति ने पूरे अभियान में अभूतपूर्व ऊर्जा और जोश भर दिया था।
जालंधर जिला प्रशासन की ओर से हम उनके परिवार और दुनिया भर में मौजूद उनके प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को शांति और उनके परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान हो।”

पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के साथ फौजा सिंह।
अब पढ़ें दिग्गज एथलीट फौजा सिंह को किस किस नेता ने श्रद्धांजलि दी
⦁ पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया– महान मैराथन धावक और दृढ़ संकल्प के प्रतीक फौजा सिंह जी के जाने से बेहद दुख हुआ। 114 वर्ष की आयु में भी उन्होंने ‘नशा मुक्त – रंगला पंजाब’ मार्च में मेरे साथ अभूतपूर्व जोश और ऊर्जा के साथ हिस्सा लिया। उनकी विरासत हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। ॐ शांति ॐ।
⦁ पूर्व सीएम और सांसद चरणजीत सिंह चन्नी– पंजाब के गौरव, 114 वर्षीय बापू फौजा सिंह के सड़क दुर्घटना में निधन की खबर सुनकर अत्यंत दुःख हुआ। वे नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
⦁ भाजपा नेता परनीत कौर– मैराथन धावक फौजा सिंह, जिन्होंने अपना जीवन दौड़ को समर्पित कर दिया, आज हमें अलविदा कह गए। उन्होंने दुनिया भर को प्रेरित किया। उन्हें श्रद्धांजलि।
⦁ शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल– पंजाब और पूरी दुनिया ने एक दिग्गज को खो दिया। उनकी अटूट भावना और संकल्प करोड़ों को प्रेरित करते रहेंगे। उन्होंने सिखाया कि कुछ भी असंभव नहीं है।
⦁ कांग्रेस विधायक परगट सिंह– सदी के महान मैराथन धावक सरदार फौजा सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ। उनका जीवन और उनकी विरासत हमेशा नशा मुक्त पंजाब के लिए प्रेरणा देती रहेगी।
⦁ अकाली दल नेता दलजीत सिंह चीमा– आज 114 साल की उम्र में महान एथलीट सरदार फौजा सिंह जी के निधन की खबर सुनकर बेहद दुख हुआ। वह सहनशीलता और प्रेरणा के प्रतीक थे। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करेगा।
⦁ पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा– मशहूर धावक फौजा सिंह जी के निधन पर दिल से अफसोस हुआ। उन्होंने न केवल 114 साल तक दौड़ लगाई, बल्कि पूरी दुनिया में पंजाब का नाम रोशन किया। उनका जज़्बा हमेशा याद रहेगा।
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पंजाब के 114 वर्षीय एथलीट फौजा सिंह का निधन: सैर करते हुए कार ने मारी टक्कर; आज जालंधर में अंतिम संस्कार – Jalandhar News