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आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की फाइल फोटो।
पंजाब में विधायकों के हिसाब से मुख्यमंत्री समेत 18 ही मंत्री बन सकते हैं। मगर, आम आदमी पार्टी (AAP) ने 7 बार मंत्रीमंडल विस्तार कर 24 विधायकों को मंत्री की कुर्सी दिलवा दी। अभी CM भगवंत मान समेत 16 मंत्री हैं। वहीं मंत्री बनाए 8 विधायकों की कुर्सी छि
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इनमें 2 पर तो भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे, लेकिन अब उन्हें क्लीन चिट मिलने की चर्चा है। हालांकि औपचारिक तौर पर सरकार या पुलिस ने इस बारे में कुछ नहीं कहा। वहीं 9वें मंत्री गुरमीत मीत हेयर को सांसद चुने जाने के बाद कुर्सी छोड़नी पड़ी।
साल 2022 में AAP को पंजाब विधानसभा चुनाव में 117 सीटों में से 92 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद से AAP सरकार ने मंत्री पद को अब उपचुनाव जीतने का भी फॉर्मूला बना लिया है। पहले जालंधर में मोहिंदर भगत और अब लुधियाना में संजीव अरोड़ा को जीतने पर मंत्री बनाने का AAP का दांव सटीक बैठा।
अभी हाल ही में तरनतारन के विधायक कश्मीर सिंह का निधन हुआ है। ऐसे में 18 की जगह 16 मंत्रियों वाली पंजाब कैबिनेट में 2 मंत्री पद खाली हैं। AAP वहां भी यही फॉर्मूला यूज कर सकती है।
मंत्री पद बांटने की यह चर्चा हाल ही में संजीव अरोड़ा को मंत्री बनाने और कुलदीप धालीवाल को मंत्री पद से हटाने के बाद ज्यादा हो रही है। AAP ने जब पहली बार सरकार बनाई तो CM समेत 10 ही मंत्री बनाए थे। अब जानिए AAP कैबिनेट में बदलाव और मंत्री पद से कौन-कौन से नेताओं की छुट्टी की गई…
- कारण: स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए डॉ. विजय सिंगला पर ठेकेदारी मामलों में 1% कमीशन मांगने का आरोप लगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उन्हें मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त कर दिया। यह कार्रवाई आम आदमी पार्टी की भ्रष्टाचार के प्रति “ज़ीरो टॉलरेंस” नीति के तहत की गई थी।
- नतीजा: डॉ. सिंगला को विजिलेंस ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार भी किया गया। यह किसी मौजूदा सरकार में भ्रष्टाचार के मामले में इतने तीव्र और सार्वजनिक रूप से की गई पहली बड़ी कार्रवाई थी, जिससे सरकार ने साफ संदेश दिया कि वह अपने ही मंत्रियों के खिलाफ भी कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगी। इस फैसले को राज्य में राजनीतिक नैतिकता की मिसाल के रूप में देखा गया। हालांकि अब पुलिस ने इस मामले में विजय सिंगला को क्लीन चिट दे दी है।

- कारण: फौजा सिंह सरारी, जो अनुसूचित जाति कल्याण और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के मंत्री थे, सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक कथित ऑडियो क्लिप के चलते विवादों में आ गए। इस ऑडियो में उन्हें एक व्यक्ति के साथ बातचीत करते हुए सुना गया, जिसमें वह राजनीतिक विरोधियों को झूठे मामलों में फंसाने की रणनीति पर चर्चा कर रहे थे। हालांकि उन्होंने ऑडियो को गलत बताया, लेकिन इसे लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर तीखा हमला बोला और नैतिकता के आधार पर कार्रवाई की मांग की।
- नतीजा: लगातार बढ़ते विवाद और सार्वजनिक दबाव के बीच सरारी ने 7 जनवरी 2023 को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने भले ही अपने खिलाफ आरोपों को सिरे से खारिज किया, लेकिन इस्तीफा देकर उन्होंने मामला और गहरा कर दिया। सरकार ने भी उनकी जगह पर नया मंत्री नियुक्त कर यह स्पष्ट किया कि छवि और शुचिता को लेकर सरकार किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी। यह मामला सत्ता पक्ष के भीतर राजनीतिक नैतिकता बनाम संकट प्रबंधन की मिसाल बनकर सामने आया।

- कारण: इंदरबीर सिंह निज्जर, जो कि नगर निकाय एवं संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे थे, उन्होंने 31 मई 2023 को व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे से पहले किसी भी तरह का सार्वजनिक विवाद, प्रशासनिक चूक या भ्रष्टाचार का आरोप सामने नहीं आया था। इस वजह से उनका निर्णय राजनीतिक हलकों में अचानक और शांतिपूर्ण बदलाव के रूप में देखा गया। सरकार या पार्टी नेतृत्व की ओर से भी उनके इस्तीफे को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की गई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि मामला पूरी तरह आंतरिक सहमति से जुड़ा था।
- नतीजा: इस्तीफा देने के बाद यह संकेत दिए गए कि निज्जर अब पार्टी में संगठनात्मक भूमिका निभा सकते हैं, विशेषकर अपने क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करने की दिशा में। हालांकि उन्होंने किसी सक्रिय पद की घोषणा नहीं की, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह इस्तीफा पार्टी के आंतरिक संतुलन और प्रशासनिक पुनर्गठन की एक कड़ी हो सकता है। इस घटनाक्रम को पार्टी के भीतर शालीन और गरिमापूर्ण पदत्याग का उदाहरण माना गया।

- कारण: ब्रह्म शंकर जिंपा, जो कि राजस्व, पुनर्वास एवं जल आपूर्ति जैसे अहम विभाग संभाल रहे थे, को 23 सितंबर 2024 को कैबिनेट फेरबदल के तहत मंत्री पद से हटाया गया। हालांकि सरकार की ओर से कोई आधिकारिक कारण सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा रही कि उनके विभागों की कार्यप्रणाली को लेकर असंतोष था और सरकार उनसे अपेक्षित परिणाम नहीं ले पाई। विशेषकर जल आपूर्ति योजनाओं और राजस्व सुधारों के क्षेत्र में उनके नेतृत्व को लेकर आलोचना सामने आती रही थीं।
- नतीजा: मंत्री पद से हटाए जाने के बावजूद जिंपा ने कोई सार्वजनिक बयानबाजी या असहमति नहीं जताई और वे अब भी विधायक के तौर पर पार्टी में सक्रिय हैं। उनके व्यवहार को राजनीतिक हलकों में अनुशासित और संगठन समर्पित माना गया। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि उन्हें भविष्य में पार्टी संगठन में कोई जिम्मेदारी मिल सकती है। यह बदलाव सरकार द्वारा कार्यक्षमता आधारित मूल्यांकन और प्रदर्शन केंद्रित कैबिनेट नीति का संकेत भी माना गया।

- कारण: चेतन सिंह जौड़ामाजरा को जुलाई 2022 में कैबिनेट में शामिल किया गया था और उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग सौंपा गया। मंत्री रहते हुए उन्होंने कई अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों पर रेड की, जिनमें से एक दौरा खासा विवादास्पद बन गया। उन्होंने एक वरिष्ठ डॉक्टर को मंच पर जूते उतारकर वार्ड में जाने के लिए मजबूर किया, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इस घटना को डॉक्टरों के साथ अमानवीय व्यवहार के रूप में देखा गया और डॉक्टर संगठनों ने इसका कड़ा विरोध जताया। हालांकि उन्होंने इस पर खेद नहीं जताया, लेकिन यह स्पष्ट हो गया कि उनकी कार्यशैली और रवैया पार्टी की नीति के अनुरूप नहीं रहा।
- नतीजा: कैबिनेट फेरबदल के तहत 23 सितंबर 2024 को उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया। सरकार की ओर से इसे नियमित प्रशासनिक बदलाव बताया गया, लेकिन यह भी स्पष्ट था कि उनका व्यवहार और विवाद सरकार की छवि के लिए नुकसानदायक बन चुका था। उनकी जगह पर नए और अपेक्षाकृत शांत स्वभाव के नेताओं को कैबिनेट में स्थान दिया गया, जिससे यह स्पष्ट संदेश गया कि “सख्ती और प्रदर्शन” के साथ-साथ “व्यावहारिक मर्यादा” भी उतनी ही जरूरी है। विधायक के रूप में वे अभी भी सक्रिय हैं।

- कारण: पंजाबी सिंगर से नेता बनीं अनमोल गगन मान को जुलाई 2022 में भगवंत मान सरकार ने युवा चेहरा और महिला प्रतिनिधित्व के रूप में कैबिनेट में शामिल किया था। उन्हें पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामलों का विभाग सौंपा गया, जो पंजाब की सांस्कृतिक पहचान और विरासत से जुड़ा अहम पोर्टफोलियो था। हालांकि कार्यकाल के दौरान उनकी उपलब्धियां सीमित रहीं और विभागीय कार्यों में ठोस नतीजों का अभाव देखा गया। कैबिनेट फेरबदल के समय उन्हें निष्क्रिय प्रदर्शन और अनुभव की कमी के आधार पर मंत्री पद से हटाया गया, हालांकि कोई सार्वजनिक विवाद नहीं था।
- नतीजा: मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद अनमोल गगन मान ने किसी तरह की नाराजगी नहीं जताई और पार्टी के भीतर कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय बनी रहीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बदलाव सरकार की “परफॉर्मेंस-बेस्ड असेसमेंट” नीति के अंतर्गत था, जहां युवा चेहरों को मौका तो दिया गया, पर अपेक्षित परिणाम न देने पर हटाया भी गया। महिला प्रतिनिधित्व में कमी को लेकर हालांकि कुछ हलकों में चिंता भी जताई गई।

- कारण: पंजाब पुलिस से DCP रिटायर्ड बलकार सिंह को भी जुलाई 2022 में हुए पहले कैबिनेट विस्तार में शामिल किया गया था और उन्हें स्थानीय निकाय मंत्री जैसा महत्वपूर्ण विभाग सौंपा गया। शहरी विकास और नगरपालिकाओं के कार्यों में अपेक्षित गति व पारदर्शिता न होने के चलते उनके विभाग की आलोचना होती रही। स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारियों में भी उनका विभाग कमजोर साबित हुआ। इसके अलावा, विभागीय फैसलों में सामूहिक नेतृत्व के अभाव और संवादहीनता की स्थिति भी उनके प्रदर्शन पर प्रश्नचिन्ह बनी।
- नतीजा: कैबिनेट फेरबदल के समय उन्हें पदमुक्त किया गया। कोई सीधा आरोप या विवाद नहीं था, पर माना गया कि सरकार ने शहरी प्रशासन को मजबूत करने के लिए नई सोच और नेतृत्व को आगे लाने का निर्णय लिया। बलकार सिंह भी अभी विधायक हैं और पार्टी गतिविधियों में भागीदारी निभा रहे हैं। उन्हें भविष्य में संगठनात्मक भूमिका दिए जाने की संभावना जताई जा रही है।

- कारण: गुरमीत सिंह मीत हेयर बरनाला से 2022 में दूसरी बार विधायक चुनकर आए थे। जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, तो वह भी मुख्यमंत्री की टॉप टेन मंत्रियों की सूची में शामिल हुए। उनके पास स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा एवं भाषाएं, खेल और युवा सेवाएं जैसे विभाग थे। वह अच्छा काम कर रहे थे। हालांकि, 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें संगरूर से लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित किया। उन्होंने पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए करीब एक लाख वोट से चुनाव जीतने में सफलता प्राप्त की। इसके बाद, 27 जून 2024 को उन्होंने पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा दिया, जबकि विधायक पद से उन्होंने 19 जून 2024 को इस्तीफा दे दिया था।

AAP की सरकार 2022 में बनी तो कुलदीप सिंह धालीवाल को ग्राम विकास एवं पंचायत, कृषि एवं किसान कल्याण और NRI अफेयर्स जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने खास तौर पर पंचायत विभाग के अंतर्गत अवैध कब्जों से सरकारी जमीनें मुक्त कराने, और ऑनलाइन एनआरआई मिलनी प्रोग्राम शुरू करने जैसे प्रयासों से सुर्खियां बटोरीं। मई 2023 में हुए कैबिनेट फेरबदल में ग्राम विकास एवं पंचायत के अलावा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग वापस ले लिया गया। इस दौरान उन्हें प्रशासनिक सुधार विभाग सौंपा गया। इसके बाद 22 फरवरी 2025 को प्रशासनिक सुधार विभाग को खत्म कर दिया गया। यह विभाग 20 महीने से अस्तित्व में नहीं था। इसके बाद उनके पास केवल एनआरआई अफेयर्स विभाग बचा। हालांकि यह कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं चला। इसी साल 3 जुलाई को उनसे यह पद भी वापस ले लिया गया। यह पद उनसे लेकर मंत्रिमंडल में शामिल किए गए संजीव अरोड़ा को दिया गया। वहीं, उनकी मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई
- कारण: धालीवाल के इस्तीफे या हटाए जाने को लेकर पार्टी की ओर से कोई नकारात्मक कारण सार्वजनिक नहीं किया गया। इसे एक सामान्य प्रशासनिक फेरबदल बताया गया। लेकिन इस फैसले से पहले भाजपा नेता ने आरोप लगाया था कि धालीवाल ने थाने में पहुंच नशा बेचने वालों को बचाने में मदद की है। लेकिन धालीवाल ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया था।
- नतीजा: धालीवाल ने किसी भी तरह की नाराजगी या असहमति से इनकार किया और कहा कि वे विधायक के रूप में पार्टी और सरकार के साथ मिलकर काम करते रहेंगे। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि “सेवा देना और सेवा समाप्त होना – दोनों ही सम्मान की बात है। उनके इस दृष्टिकोण को राजनीतिक हलकों में “अनुशासित नेतृत्व” और “व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से परे जाकर पार्टी के निर्णय को स्वीकार करने वाली भावना” के रूप में देखा गया। ऐसे समय में जब कई नेता हटाए जाने पर नाराजगी दिखाते हैं, धालीवाल का रवैया सरकार की आंतरिक स्थिरता और नेतृत्व के प्रति विश्वास का संकेत माना गया।
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