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नौकरी छोड़ पालने लगा भेड़…आज पूरा कुनबा, घर बैठे कमा रहा 50 हजार महीना, इन नस्लों पर लगाया दांव Haryana News & Updates

नौकरी छोड़ पालने लगा भेड़…आज पूरा कुनबा, घर बैठे कमा रहा 50 हजार महीना, इन नस्लों पर लगाया दांव Haryana News & Updates

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Sheep farming business plan : छायंसा गांव के दीपक के पास इस समय 200 भेड़ हैं. नौकरी छोड़कर उन्होंने ये काम अपनाया. मेहनत थोड़ी ज्यादा है लेकिन परिवार के साथ रहने का सुख भी है.

फरीदाबाद. बल्लभगढ़ के छायंसा गांव के दीपक ने पांच साल पहले नौकरी की चकाचौंध छोड़कर पशुपालन का रास्ता चुना. कहते हैं भेड़-बकरियों का काम आसान नहीं है लेकिन मेहनत का फल मीठा होता है. दीपक अब भेड़ और बकरियों का पालन कर परिवार का पेट पाल रहे हैं. कभी भीषण गर्मी में पसीना बहाना पड़े तो कभी सर्द हवाओं में कांपते हुए भी चाराने निकलना पड़ता है, लेकिन दीपक ने हिम्मत नहीं हारी. उनका मानना है कि कंपनी में काम करने से बेहतर यह मेहनतकश जिंदगी है, जहां रोज़ी-रोटी के साथ आत्मसम्मान भी मिलता है.

16 हजार से शुरुआत

Local18 से बातचीत में दीपक बताते हैं कि इस समय उनके पास करीब 200 भेड़ें और 15 से 16 बकरियां हैं. उम्र महज 34 साल है लेकिन अनुभव में कहीं से भी कम नहीं. शुरुआत उन्होंने करीब 50 भेड़ें खरीदकर की. उस समय भेड़ें 16 हजार रुपये में खरीदी थीं. आज एक भेड़ की कीमत 8 से 10 हजार रुपये है. दीपक बताते हैं कि भेड़ों की कई नस्लें हैं. मारवाड़ी, फाकी, देसी और अन्य. पहले इनके ऊन से स्वेटर और कपड़े बनते थे जिससे बढ़िया आमदनी हो जाती थी. ऊन 10 से 11 रुपये किलो बिकता था. लेकिन वक्त के साथ ऊन की मांग घट गई. नई-नई चीजें आ गईं और अब ऊन बिकना लगभग बंद हो गया है. महीने का 10 से 15 हजार रुपये तक खर्च हो जाता है. कभी फायदा अच्छा हो जाता है तो कभी घाटा भी लग जाता है.

संभालना अलग किस्म की जिम्मेदारी

भेड़-बकरियों की देखभाल भी अपने आप में अलग किस्म की जिम्मेदारी है. दीपक सुबह करीब 10-11 बजे झुंड लेकर चराने निकल जाते हैं और शाम को 6-7 बजे तक घर लौटते हैं. चाहे 40 डिग्री की लू चले या हड्डियां कटाती सर्दी, ये मवेशी खुले आसमान के नीचे ही रहते हैं. दीपक बताते हैं कि भेड़ें ज्यादा देखभाल नहीं मांगती, लेकिन बीमार पड़ने पर डॉक्टर बुलाना पड़ता है. वरना आम दिक्कतें खुद ही संभाल लेते हैं. बकरियों में उनके पास देसी नस्ल है जिनसे भी अच्छा मुनाफा हो जाता है. महीने में कभी 40-50 हजार रुपये तक कमाई हो जाती है. दीपक हंसते हुए कहते हैं…कच्चा धन है कभी लाभ तो कभी हानि…लेकिन कंपनी की नौकरी से तो यह कहीं बेहतर है. गांव के लोग भी उनकी मेहनत देखकर कहते हैं कि मेहनत कभी खाली नहीं जाती. यही मेहनत आज दीपक के परिवार के लिए उम्मीद की किरण है.

Priyanshu Gupta

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu… और पढ़ें

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