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Normal vs Cesarean Delivery Charges : पैरेंट्स बनना हर किसी का सपना होता है. हर साल बड़ी संख्या में नए कपल्स माता-पिता बन रहे हैं. नॉर्मल और सिजेरियन दो तरह से बच्चों का जन्म हो रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में सालाना करीब 30% से ज्यादा डिलीवरी सिजेरियन हो रही है. शहरी क्षेत्रों में यह संख्या ज्यादा है.
कॉम्प्लिकेशन होने पर सी-सेक्शन से डिलीवरी की जाती है. हालांकि, यह नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में महंगा होता है. पिछले कुछ सालों से मां बनना काफी महंगा हो गया है. प्रेगनेंसी से लेकर डिलीवरी तक का खर्चा बढ़ गया है. ऐसे में अगर आप भी माता-पिता बनने की सोच रहे हैं तो यहां जानिए नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी के खर्च में कितना अंतर है, हॉस्पिटल का पूरा पैकेज कितना आता है.
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लगातार बढ़ रहा डिलीवरी का खर्चा
डिलीवरी का खर्च किन चीजों पर निर्भर करता है
नॉर्मल या सिजेरियन डिलीवरी
किस कैटेगरी का शहर है टियर I, टियर II या टियर III
डिलीवरी कहां हो रही है मैटरनिटी नर्सिंग होम या मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल
सरकारी अस्पतालों में प्रेगनेंसी का खर्च
गायनोकोलॉजिस्ट्स के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में प्रेग्नेंसी की शुरुआत से ही काफी सारी सुविधाएं निशुल्क रहती हैं. यही नहीं, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना (PMMVY) के तहत सरकारी अस्पतालों में प्रेगनेंट महिलाओं को पैसे और अन्य मदद भी दिए जाते हैं.
प्राइवेट हॉस्पिटल में डिलीवरी का पैकेज (मरीज के अनुसार)
1. डॉक्टर के यहां विजिट- शुरुआत में हर हफ्ते और बाद में महीने-महीने पर प्रति विजिट फीस- 1000-1500 रुपए तक
2. प्रेगनेंसी के 9 महीने तक दवाईयां, इंजेक्शन, वैक्सीन, सप्लीमेंट्स का कुल खर्च- करीब 30,000 रुपए तक
3. अल्ट्रासाउंड (चार बार और कलर डॉप्लर टेस्ट) – 10,000 रुपए तक
4. प्रेगनेंसी के 9 महीने तक स्पेशल न्यूट्रिशन- 30,000 रुपए
5. सिजेरियन डिलीवरी- सर्जरी का खर्च- 50-55 हजार, मेडिसिन- 10 हजार रुपए, बेड चार्ज प्रति दिन- 2000-3000 रुपए तक
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नॉर्मल डिलीवरी और सिजेरियन के खर्च में कितना है अंतर?