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नेतन्याहू अपनी पत्नी के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए न्यूयॉर्क पहुंचे।
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू 600 किलोमीटर ज्यादा दूरी तय कर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में शामिल होने के लिए न्यूयॉर्क पहुंचे। तेल अवीव से न्यूयॉर्क की दूरी करीब 9 हजार किलोमीटर है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेतन्याहू ने ऐसा अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के उनके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट से बचने के लिए किया। नेतन्याहू को तेल अवीव से न्यूयॉर्क जाने में 2 घंटे एक्स्ट्रा टाइम लगा।
फ्लाइट-ट्रैकिंग डेटा (FlightRadar24) के अनुसार, नेतन्याहू का विमान ‘विंग ऑफ जियोन’ सिर्फ ग्रीस और इटली के हवाई क्षेत्र से होकर गुजरा। वो यूरोप के 5 देशों के हवाई क्षेत्र से बचकर निकले।
सामान्य तौर पर, तेल अवीव से न्यूयॉर्क तक जाने में 10 से 11 घंटे का समय लगता है, जबकि नेतन्याहू 13 घंटे में पहुंचे। नेतन्याहू आज यानी शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे और अगले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात करेंगे।
नेतन्याहू के खिलाफ ICC का गिरफ्तारी वारंट जारी
नेतन्याहू के खिलाफ ICC ने 2024 में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। उन पर गाजा में जंग को बढ़ावा देने और भुखमरी को जंग के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के आरोप लगे थे।
इस वजह से उन्होंने यूरोप के उन देशों के हवाई क्षेत्र से बचने की कोशिश की, जो ICC के नियमों का पालन करते हैं। इन देशों में फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, आयरलैंड और ब्रिटेन शामिल हैं।
अगर नेतन्याहू का विमान इन देशों के हवाई क्षेत्र से गुजरता, तो उन देशों की सरकारें उन्हें रोककर गिरफ्तार कर सकती थीं और हेग (नीदरलैंड) स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) को सौंप सकती थीं।
इजराइली सरकार ने यह रास्ता चुनने की कोई आधिकारिक वजह नहीं बताई, लेकिन मीडिया का दावा है कि यह कदम ICC वारंट से बचने के लिए उठाया गया।

नेतन्याहू ने 26 सितंबर को सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक से मुलाकात की।
फ्रांस की अनुमति, फिर भी रास्ता बदला
फ्रांसीसी समाचार एजेंसी AFP ने एक राजनयिक सूत्र के हवाले से बताया कि फ्रांस ने नेतन्याहू की उड़ान को अपने हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी।
इसके बावजूद उनकी उड़ान ने फ्रांस के ऊपर से उड़ान नहीं भरी। माना जा रहा है कि रास्ते में उड़ान की योजना बदली गई। इससे पहले जुलाई में नेतन्याहू ने अमेरिका की यात्रा की थी, इस दौरान उन्होंने सीधा रास्ता अपनाया था।
पत्रकारों को लेकर साथ नहीं गए नेतन्याहू
इस यात्रा के दौरान सुरक्षा कारणों के चलते कोई पत्रकार भी नेतन्याहू के साथ नहीं गया।
‘द येरुसलम पोस्ट’ के मुताबिक, इस लंबे रास्ते की वजह से उन्हें विमान में जगह नहीं दी गई। ज्यादा ईंधन की जरूरत को पूरा करने के लिए उनके दल को छोटा करना पड़ा।
हाल के महीनों में इजराइल और फ्रांस के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ा है। फ्रांस ने गाजा में हिंसा रोकने और फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने की दिशा में कई कदम उठाए हैं।
दूसरी ओर, नेतन्याहू फिलिस्तीनी राज्य के गठन का कड़ा विरोध करते हैं और इसे अपने राजनीतिक करियर का मुख्य मुद्दा बनाए हुए हैं।
पहले भी लंबे रास्ते चुन चुके हैं नेतन्याहू
यह पहली बार नहीं है जब नेतन्याहू ने ऐसी सावधानी बरती हो। जुलाई 2024 में भी उनकी एक उड़ान ने यूरोप के हवाई क्षेत्र से बचने के लिए लंबा रास्ता अपनाया था। तब संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि फ्रांसेस्का अल्बनेस ने इटली, फ्रांस और ग्रीस की आलोचना की थी।
उन्होंने कहा था कि इन देशों ने ICC के आरोपी को सुरक्षित रास्ता देकर गलती की। इसके अलावा, फरवरी 2024 में नेतन्याहू की वॉशिंगटन डीसी यात्रा के दौरान भी उनकी उड़ान ने यूरोप में आपात लैंडिंग से बचने के लिए सावधानी बरती थी।
इजराइल के अमेरिका में राजदूत येचियल लेइटर ने एक संगठन को बताया था कि अगर उड़ान को यूरोप में आपात लैंडिंग करनी पड़ती, तो नेतन्याहू को गिरफ्तार किए जाने का खतरा था। इसलिए उड़ान को अमेरिकी सैन्य अड्डों के नजदीक वाले हवाई क्षेत्र में ले जाया गया, ताकि जरूरत पड़ने पर वहां लैंडिंग हो सके।
UNGA के बारे में जानिए…


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