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नूंह सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय में हुआ घोटाला।
हरियाणा के नूंह जिले में सरकारी खजाने से 40.51 लाख रुपए के संदिग्ध भुगतानों का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह घोटाला महालेखाकार, हरियाणा द्वारा की गई लेखा परीक्षा (ऑडिट) के दौरान उजागर हुआ, जिसमें पाया गया कि 2019 से 2020 के बीच नूंह सूचना एवं जनसंप
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इस वित्तीय अनियमितता का पर्दाफाश होने के बाद जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने तीन अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी (धारा 420) और आपराधिक विश्वासघात (धारा 409) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
रिपोर्ट ने खोली फर्जीवाड़े की परतें
महालेखाकार हरियाणा की टीम ने 28 नवंबर 2023 से 15 दिसंबर 2023 के बीच नूंह कार्यालय की ऑडिट जांच की। जांच के दौरान तथ्य सामने आया कि अगस्त 2019 से जून 2020 के बीच 14 संदिग्ध भुगतान किए गए, जिनकी कुल राशि 40 लाख 51 हजार थी।
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार यह रकम 10 ऐसे व्यक्तियों के नाम पर जारी की गई, जिनके नाम तो विभागीय रिकॉर्ड से मिलते-जुलते थे, लेकिन उनके यूनीक कोड, पैन नंबर, बैंक खाता संख्या और पते वास्तविक कर्मचारियों से भिन्न पाए गए। सबसे अहम बात इन भुगतानों से संबंधित वित्तीय स्वीकृति आदेश और बिल-वाउचर फाइलें कार्यालय में मौजूद नहीं थीं।
संदिग्ध अवधि में तैनात अधिकारी
इस पूरे प्रकरण के दौरान कार्यालय में तीन अधिकारी कार्यरत थे, जिनकी भूमिका अब जांच के घेरे में है, सुरेश गुप्ता, तत्कालीन जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी जो अब सेवानिवृत्त हो चुके है। वहीं हीना विरमानी तत्कालीन लेखा सहायक, वर्तमान में फरीदाबाद में तैनात है। कृष्ण कुमार तत्कालीन क्लर्क वर्तमान में अब कोसली में कार्यरत है। रिपोर्ट के मुताबिक भुगतान प्रक्रिया में इन तीनों की सीधी संलिप्तता रही है।
कुछ भुगतान बिना स्वीकृति आदेशों के किए गए, जबकि कुछ बैंक खातों में राशि ऐसे नामों से भेजी गई, जो वास्तविक कर्मचारियों से मेल नहीं खाते थे।
हीना विरमानी तत्कालीन लेखा सहायक का फोटो।
दूसरा ऑब्जर्वेशन भी संदिग्ध लेन-देन से जुड़ा
महालेखाकार की रिपोर्ट में एक अन्य ऑब्जर्वेशन में यह भी दर्ज है कि उसी अवधि में एक कर्मचारी द्वारा भुगतान से संबंधित कार्य के बदले 60 हजार की रिश्वत मांगने और प्राप्त करने की शिकायत भी सामने आई थी। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि तत्कालीन क्लर्क ने संबंधित महिला से व्यक्तिगत लाभ के लिए राशि मांगी थी।
इन अनियमितताओं का संज्ञान लेते हुए नूंह जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी ने 13 अक्टूबर 2025 को थाना सिटी नूंह में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया कि ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार कार्यालय से 40.51 लाख रुपए के फर्जी भुगतान किए गए हैं। शिकायत में बताया कि यह अत्यंत गंभीर वित्तीय अनियमितता है और इसमें तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता।
केस दर्ज कर जांच में जुटी पुलिस
शिकायत के बाद थाना सिटी नूंह पुलिस ने एफआईआर नंबर 240 को दर्ज कर लिया है। मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 409 के तहत पंजीकृत किया गया है। जांच अधिकारी सब-इंस्पेक्टर अजीत सिंह ने बताया कि प्राथमिक जांच में ऑडिट रिपोर्ट के सभी तथ्य सही पाए गए हैं। अब संबंधित अभिलेखों, बैंक लेन-देन और खातों की जांच की जा रही है। आवश्यक साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस कार्रवाई से नूंह जिले के प्रशासनिक और वित्तीय हलकों में हड़कंप मच गया है। सूत्रों की मानें तो इस घोटाले में चंडीगढ़ में बैठे अधिकारियों की संलिप्तता होने से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि जिन खातों में पैसे गए है ,उनके फर्जी पे कोड बनाए गए। सबसे बड़ी बात यह है कि इसका बजट भी चंडीगढ़ से ही रिलीज होता है।
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नूंह DIPRO ऑफिस में 40.51 लाख का घोटाला: ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा, DDO सहित 3 अधिकारियों पर धोखाधड़ी का केस – Nuh News
