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भारतीय सेना ने स्टार जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा को टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि दी है। नीरज को यह सम्मान खेल में असाधारण योगदान और राष्ट्र के प्रति उनकी कमिटमेंट के लिए दिया गया है।
रक्षा मंत्रालय ने बुधवार, 14 मई को इसकी घोषणा की। बयान के अनुसार, यह नियुक्ति 16 अप्रैल से प्रभावी है। नीरज चोपड़ा पहले भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर थे। उन्हें 2018 में सुबेदार बनाया गया था। नीरज 2016 में भारतीय सेना में नायब सूबेदार के रूप में शामिल हुए थे।
नीरज चोपड़ा से पहले पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी, कपिल देव और अभिनव बिंद्रा जैसे खिलाड़ियों को टेरिटोरियल आर्मी में मानद उपाधि दी जा चुकी है।

नीरज 16 मई को दोहा डायमंड लीग में हिस्सा लेंगे नीरज चोपड़ा शुक्रवार 16 मई को दोहा डायमंड लीग में हिस्सा लेंगे। नीरज ने पिछले सीजन में 88.36 मीटर भाला फेंककर दूसरा स्थान हासिल किया था। वे 2023 में 88.67 मीटर के स्कोर के साथ चैंपियन बने थे। नीरज के अलावा, जेवलिन थ्रोअर किशोर जेना, मिडिल डिस्टेंस रनर गुलवीर सिंह और पारुल चौधरी भी हिस्सा लेंगी।

लगातार दो ओलिंपिक मेडल जीत चुके हैं नीरज नीरज चोपड़ा दुनिया के नंबर-2 जेवलिन थ्रोअर हैं। वे भारत की ओर से लगातार दो ओलिंपिक गेम्स में मेडल जीत चुके हैं। नीरज ने पेरिस ओलिंपिक में सिल्वर और टोक्यो ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। इसके अलावा, वे वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे वर्ल्ड क्लास टूर्नामेंट में भारत को गोल्ड मेडल जिता चुके हैं।

अर्द्धसैनिक बल है टेरिटोरियल आर्मी टेरिटोरियल आर्मी एक अर्द्धसैनिक बल है। इसे सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस कहते हैं। यह देश में कई बड़े ऑपरेशनों में काम कर चुकी है। ये युद्ध मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति के जवानों की परछाई बनकर ठीक उनके पीछे मदद के लिए तैयार रहती है। अभी इसके 50 हजार सदस्य हैं, जो 65 विभागीय यूनिट्स (जैसे रेलवे, आईओसी) और गैर विभागीय इन्फेंट्री व इंजीनियर बटालियन में हैं। इनकी ट्रेनिंग सेना की तरह ही होती है।
5 सवालों में टेरिटोरियल आर्मी के बारे में जानिए…
1. कब अस्तित्व में आई टेरिटोरियल आर्मी? शुरुआत 18 अगस्त 1948 को 11 यूनिट्स के साथ हुई थी। 9 अक्टूबर 1949 को देश के पहले गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी ने इसका मुख्यालय शुरू किया था। इसलिए 9 अक्टूबर को टेरिटोरियल आर्मी डे मनाते हैं। आजादी के बाद इसमें इन्फेंट्री, इंजीनियरिंग, सिग्नल जैसी यूनिट्स बनीं। यह अंशकालिक अतिरिक्त बल है, जो गैर लड़ाकू काम करता है।
2. इसमें कौन भर्ती होता है? ऐसे युवा जो किसी भी क्षेत्र में नौकरी या व्यवसाय कर रहे हैं, वह भी अंशकालिक रूप से टेरिटोरियल आर्मी में शामिल हो सकते हैं। ऐसे नौजवान जो किसी कारण से सेना में भर्ती नहीं हो पाते या ऐसे रिटायर्ड सैन्य कर्मी, जो सेना में रहकर देशसेवा करना चाहते हैं, उन्हें भर्ती में तवज्जो मिलती है। इसकी भर्ती टेरिटोरियल आर्मी समय-समय पर अपनी वेबसाइट और स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के तहत निकालती रहती है।
3. इसमें भर्ती कैसे होती है? लिखित परीक्षा से भर्ती। पूर्व सैनिकों को परीक्षा से छूट है। भर्ती की न्यूनतम उम्र 18 और अधिकतम 42 साल है। स्नातक, शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होना जरूरी।
4. कब तक नौकरी कर सकते हैं? कम से कम 7 साल। सेना की तरह इसमें पदोन्नत होकर कमीशंड भी होते हैं। ऐसे लोगों को 20 साल की फिजिकल सर्विस के बाद पेंशन भी मिलती है। जू. कमीशन्ड ऑफिसर, नॉन कमीशन्ड ऑफिसर, अन्य कार्मिक पद हैं। लीव एनकैशमेंट, एलटीए भी देते हैं। सैलरी 16 हजार से 63 हजार रु. महीना तक।
5. कैसे होती है इनकी ट्रेनिंग? सेना के नियमित जवानों से थोड़ी अलग। शुरुआत में 6 महीने की प्री कमीशंड ट्रेनिंग। फिर हर साल दो महीने का ट्रेनिंग कैंप होता है। यह अनिवार्य होता है। इस दौरान वेतन भी देते हैं। नियुक्ति के पहले दो साल में 3 महीने की पोस्ट कमीशनिंग ट्रेनिंग भी।
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सरकार का सेना को टेरिटोरियल आर्मी एक्टिव करने का आदेश

पाकिस्तान से तनाव के बीच केंद्र सरकार ने सेना को टेरिटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) को सक्रिय करने का आदेश दिया है। थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी टेरिटोरियल आर्मी रूल्स 1948 के नियम 33 के तहत टेरिटोरियल आर्मी के किसी भी सैन्य अधिकारी या जवान को सेना की मदद के लिए बुला सकते हैं। पढ़ें पूरी खबर
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