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9 घंटे पहले

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नवनीत गुर्जर
कश्मीर घाटी में ऐसा संभवत: पहली बार हुआ है- धर्म पूछ-पूछ कर गोली मारना। नाम पूछकर गोली मारना। कलमा नहीं पढ़ पाने पर गोली मारना…
इन दहशतगर्दों को कौन बताए कि सबसे बड़ा धर्म इंसानियत है। और कुछ नहीं। कुछ भी नहीं। जम्मू-कश्मीर में इसके पहले भी आतंकी हमले होते रहे हैं, लेकिन आम लोगों पर बहुत कम। अब तक आतंकवादी वहां सरकार, व्यवस्था, फौजियों और अर्द्ध-सैनिक बलों पर ही हमले करते रहे हैं।
हालांकि कोई फौजी शहीद हो या सिपाही या कोई सरकारी कर्मचारी, देश के लोग उसी तरह भावुक होते हैं जैसे आज हैं, लेकिन यह सच है कि पर्यटकों पर पहली बार इतना वीभत्स हमला किया गया है।
हमले के तुरंत बाद या दूसरे दिन से ही टीवी चैनल ऐसा बता रहे हैं जैसे भारत पाकिस्तान पर बस हमला करने ही वाला है। केवल एक मीटिंग की देर है। लेकिन ऐसा नहीं है। कूटनीतिक कार्रवाई पर विचार हो सकता है पर इसका मतलब हमला या सर्जिकल स्ट्राइक ही नहीं है।
यह जरूर है कि इस नरसंहार के बाद पूरा राष्ट्र उद्वेलित है। भावुक है। अति संवेदनशील भी। वह चाहता है कि इस जघन्यता का बदला जरूर लेना चाहिए। तुरंत। अभी। हो सकता है ऐसा हो भी। लेकिन तुरंत नहीं। सरकार को अलग तरह से सोचना पड़ता है। हालात के तमाम प्लस-माइनस मापे जाते हैं। फिर कोई कार्रवाई या रणनीति बनाई जाती है। वही होगा भी।
दरअसल, कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद की शांति दहशतगर्दों और उनके आका पाकिस्तान को रास नहीं आ रही है। शांतिपूर्ण कश्मीर को देखकर उनके पेट में बल पड़ रहे हैं। सीधे कहा जाए तो धारा 370 का हटना भी उन्हें रास नहीं आ रहा है।
वे इस पूरी प्रक्रिया को, इस पूरी व्यवस्था को ही पटरी से उतारने पर तुले हैं। लेकिन क्या इस सबके लिए इतना जघन्य नरसंहार कर डालेंगे? यह कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। पर्यटक- जिनमें कुछ नवविवाहित थे, कुछ अफसर अपने परिवार के साथ थे, किसी की मांग उजड़ी, किसी की गोद। पहलगाम की जन्नत को इन आतंकियों ने कुछ ही देर में मरघट में बदल दिया।
सबके सब पर्यटक कलमा नहीं पढ़ पाने के कारण मार दिए गए? इस तरह के अपराधों की सभ्य समाज में कोई जगह नहीं हो सकती। कोई और किसी प्रकार की क्षमा भी नहीं। निश्चित ही दोषी आतंकवादियों और उनके मुखबिरों को ढूंढकर सजा दी ही जाएगी। लेकिन पाकिस्तान पर हमला या सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई की फिलहाल संभावना नहीं दिखाई देती। इसलिए कि इस बारे में सुरक्षा एजेंसियों से विस्तृत इनपुट लिया जाएगा।
चूंकि यह अपनी तरह का पहला आतंकी हमला है इसलिए यह भी देखा जाएगा कि ये कोई ट्रैप तो नहीं है? कौन-कौन इस सब में शामिल हो सकते हैं? ये उकसावा कहीं चीन की तरफ से तो नहीं है? है तो किस हद तक? पाकिस्तान इसमें कितना और किस तरह शामिल है? यह सब विचार भारत सरकार करेगी और फिर तय किया जाएगा कि इससे निबटने के उपाय क्या हैं? कैसे हो सकते हैं? आदि।
ये जरूर है कि कश्मीर में अब सख्ती बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी। दहशतगर्दों को ढूंढ-ढूंढकर बाहर लाया जाएगा। अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। क्योंकि यह पहली बार है, जब इस आतंकी हमले के खिलाफ कश्मीर के कोने-कोने में भी प्रदर्शन हो रहे हैं और वहां के स्थानीय लोगों में हमलावरों के प्रति गुस्सा है। केवल जम्मू या श्रीनगर ही नहीं, गांदरबल और इसके जैसे कई दूरस्थ इलाकों में भी हमले के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं।
इसके पहले कश्मीर में जब भी प्रदर्शन या बंद होता था तो वो सरकार या व्यवस्था के खिलाफ हुआ करता था। इस हमले के बाद कश्मीरियों ने यह दिखाने की पूरी कोशिश की है कि वे अब यहां शांति चाहते हैं। आम लोगों पर इस तरह के हिंसक हमले का वे कतई समर्थन नहीं करते, बल्कि जमकर विरोध करना चाहते हैं।
इन प्रदर्शनों को देखकर इस बार पाकिस्तान की नींद जरूर उड़ जाएगी। क्योंकि अब तक वह समझता रहा है कि कश्मीर के लोग दबे-छिपे ही सही, लेकिन उसके साथ हैं। अब दृश्य बदल चुका है। पाकिस्तान की नींद इसलिए भी उड़ जाने वाली है कि भारत सरकार इसका बदला लेने के लिए क्या कर सकती है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।
कश्मीर के लोगों ने बताया कि अब वे अमन चाहते हैं कश्मीरियों ने यह दिखाने की पूरी कोशिश की है कि वे अब यहां शांति चाहते हैं। आम लोगों पर इस तरह के हिंसक हमले का वे कतई समर्थन नहीं करते, बल्कि जमकर विरोध करना चाहते हैं। इससे पाकिस्तान की नींद उड़ जाएगी।
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नवनीत गुर्जर का कॉलम: भारत भावुक, पाकिस्तान की नींद उड़ी…