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नवंबर में सब्जियों और मसालों की कीमतें बढ़ीं: रिटेल महंगाई बढ़कर 0.71% पर पहुंची, अक्टूबर में ये 0.25% पर थी Business News & Hub

नवंबर में सब्जियों और मसालों की कीमतें बढ़ीं:  रिटेल महंगाई बढ़कर 0.71% पर पहुंची, अक्टूबर में ये 0.25% पर थी Business News & Hub

नई दिल्ली44 मिनट पहले

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नवंबर में रिटेल महंगाई पिछले महीने के मुकाबले बढ़कर 0.71% के स्तर पर आ गई है। इससे पहले अक्टूबर में ये 0.25% पर थी, जो 14 साल में सबसे कम स्तर रहा था।

नवंबर महीने में महंगाई में बढ़ोतरी सब्जियों, अंडे, मांस-मछली, मसालों, फ्यूल और लाइट की कीमतें बढ़ने की वजह से हुई है। सरकार ने शुक्रवार, 12 दिसंबर को महंगाई के आंकड़े जारी किए हैं।

नवंबर में खाने-पीने के सामानों की कीमत बढ़ी

  • महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। इसकी महीने-दर-महीने की महंगाई माइनस 5.02% से बढ़कर माइनस 3.91% हो गई है।
  • नवंबर महीने में ग्रामीण महंगाई दर -0.25% से बढ़कर माइनस 0.10% हो गई है। वहीं शहरी महंगाई 0.88% से बढ़कर 1.40% पर आ गई है।

अक्टूबर में 14 साल के निचले स्तर पर थी रिटेल महंगाई

अक्टूबर में रिटेल महंगाई 0.25% के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई थी। इसका कारण खाने-पीने की चीजों की कीमतों में कमी थी। ये वर्तमान CPI सीरीज में अब तक की सबसे कम महंगाई थी। यानी, ये करीब 14 साल का निचला स्तर रहा था। इससे पहले सितंबर में ये 1.44% पर थी।

भारत में CPI की मौजूदा सीरीज 2012 के बेस ईयर पर बेस्ड है। मतलब, 2012 की कीमतों को 100 मानकर तुलना की जाती है। पहले 2010 या 1993-94 वाली सीरीज थीं, लेकिन समय के साथ अपडेट होती रहती है ताकि आंकड़े सही रहें। हर नई CPI सीरीज में बेस ईयर चेंज होता है।

CPI सीरीज यानी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स सीरीज। ये महंगाई मापने का सरकार का सिंपल तरीका है। आसान शब्दों में कहे तो, ये बताता है कि रोजमर्रा की चीजें जैसे दूध, सब्जी, पेट्रोल कितनी महंगी या सस्ती हो रही हैं। बेस ईयर से तुलना करके % में आंकड़ा आता है।

बेस ईयर क्या होता है?

बेस ईयर वो साल होता है जिसकी कीमतों को आधार (बेस) माना जाता है। यानी, उसी साल की चीजों की औसत कीमत को 100 का मान देते हैं। फिर, दूसरे सालों की कीमतों की तुलना इसी बेस ईयर से की जाती है। इससे पता चलता है कि महंगाई कितनी बढ़ी या घटी है।

उदाहरण: मान लीजिए 2020 बेस ईयर है। उस साल एक किलो टमाटर ₹50 का था। अब 2025 में वो ₹80 का हो गया। तो महंगाई = (80 – 50) / 50 × 100 = 60% बढ़ी। यही फॉर्मूला CPI में यूज होता है, लेकिन ये पूरे बाजार की चीजों पर लागू होता है।

बेस ईयर कैसे चुना जाता है और कैसे काम करता है?

  • सरकार आमतौर पर हर 5-10 साल में नया बेस ईयर चुनती है।
  • ये ऐसा साल होता है जो सामान्य हो, न ज्यादा सूखा हो, न महामारी, न ज्यादा महंगाई।

महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?

महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।

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चांदी ऑलटाइम हाई पर, ₹4500 बढ़कर कीमत ₹1.92 लाख पहुंची: तीन दिन में 14 हजार रुपए महंगी; सोना ₹1973 बढ़कर 1.30 लाख प्रति 10 ग्राम

चांदी की कीमत आज (12 दिसंबर) लगातार तीसरे दिन अपने ऑलटाइम हाई पर पहुंच गई है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, चांदी की कीमत आज 4,500 रुपए चढ़कर ₹1,92,781 प्रति किलो पर पहुंच गई है। इससे पहले गुरुवार को ये ₹1,88,281/kg और बुधवार को ₹1,86,350/kg के ऑल टाइम हाई पर थी। यानी तीन दिन में ये 13,888 रुपए महंगी हुई है। वहीं, सोने की कीमत 1,973 रुपए बढ़कर 1,30,569 प्रति 10 ग्राम पर आ गई है। 17 अक्टूबर को इसकी कीमत 1,30,874 रुपए के अपने अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर थी। पूरी खबर पढ़ें…

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Source: https://www.bhaskar.com/business/news/india-retail-inflation-rate-november-2025-update-136649548.html

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