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नवंबर में थोक महंगाई घटकर 1.89% पर आई: खाने-पीने के चीजों के दाम कम होने से महंगाई घटी, अक्टूबर में ये 2.36% थी Business News & Hub

नवंबर में थोक महंगाई घटकर 1.89% पर आई:  खाने-पीने के चीजों के दाम कम होने से महंगाई घटी, अक्टूबर में ये 2.36% थी Business News & Hub

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नई दिल्ली17 मिनट पहले

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नवंबर महीने में थोक महंगाई घटकर 1.89% पर आ गई है। इससे पहले अक्टूबर में थोक महंगाई 2.36% पर थी। वहीं सितंबर महीने में थोक महंगाई 1.84% पर थी। सब्जियों और खाने-पीने के चीजों के दाम घटने से महंगाई घटी है।

खाने-पीने की चीजें और प्राइमरी आर्टिकल्स की कीमतें घटी

  • रोजाना की जरूरत वाले सामानों की महंगाई दर 8.09% से घटकर 5.49% हो गई।
  • खाने-पीने की चीजों की महंगाई 11.59% से बढ़कर 8.92% हो गई।
  • फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर -5.79% से घटकर -5.83 रही।
  • मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 1.50% से बढ़कर 2.00% रही।

WPI का आम आदमी पर असर थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।

जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।

होलसेल महंगाई के तीन पार्ट होते हैं: प्राइमरी आर्टिकल जिसका वेटेज 22.62% है। फ्यूल एंड पावर का वेटेज 13.15% और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट का वेटेज सबसे ज्यादा 64.23% है। प्राइमरी आर्टिकल के भी चार हिस्से हैं:

  • फूड आर्टिकल्स जैसे अनाज, गेहूं, सब्जियां
  • नॉन फूड आर्टिकल में ऑइल सीड आते हैं
  • मिनरल्स
  • क्रूड पेट्रोलियम

महंगाई कैसे मापी जाती है? भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है।

महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 22.62% और फ्यूल एंड पावर 13.15% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है।

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नवंबर महीने में रिटेल महंगाई घटकर 5.48% पर आ गई है। यह पिछले महीने से 0.73% कम है। अक्टूबर में खाने-पीने की चीजें महंगी होने से रिटेल महंगाई 6.21% पर पहुंच गई थी। यह 14 महीनों का उच्चतम स्तर था। अब खाने-पीने की चीजों के दाम कम होने से महंगाई घट गई है। महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। पूरी खबर पढ़े…

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