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कादमा के सेवा केंद्र पर ब्रह्मा बाबा का स्मरण करते ब्रह्माकुमारीज।
झोझूकलां/कादमा। नारी नरक का द्वार नहीं सिर का ताज है। वो आज अबला नहीं बल्कि सबला है। यह उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की कादमा शाखा में आयोजित कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी नीलम ने व्यक्त किए।
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उन्होंने कहा कि नारी वर्ग के उत्थान के लिए हीरे-जवाहरात के व्यापारी दादा लेखराज कृपलानी ने वर्ष 1937 में परिवर्तन की नींव रखी थी। नारी उत्थान को लेकर उनका दृढ़ संकल्प था कि उन्होंने अपनी सारी जमीन-जायदाद बेचकर एक ट्रस्ट बनाया और उसमें संचालन की जिम्मेदारी नारियों को सौंप दी। संस्थापक दादा लेखराज कृपलानी को सभी प्यार से ब्रह्मा बाबा कहकर पुकारते हैं। 18 जनवरी 1969 को 93 वर्ष की आयु में वे परमात्मा में लीन हो गए थे। संस्थान की मुख्य शिक्षा व नारा ही स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन और नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना है। विश्व के 140 देशों में पांच हजार से अधिक सेवाकेंद्र संचालित हैं और 46 हजार ब्रह्माकुमारी बहनें समर्पित रूप से तन-मन-धन के साथ अपनी सेवाएं दे रही हैं।
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नरक का द्वार नहीं, सिर का ताज है नारी : बीके नीलम