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झज्जर। यूं तो बंधन किसी को अच्छा नहीं लगता, लेकिन इस रक्षाबंधन के बंधन में सभी बंधना चाहते हैं। सिद्ध श्री 108 बाबा कांशीगिरि महाराज मंदिर में चल रही श्री शिव महापुराण कथा में कथा वाचक पवन कौशिक ने प्रवचन करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि रेशम की इस डोर में भाई बहन का जो पवित्र नाता बंधा हुआ है उसकी कोई कीमत नहीं। देखने में तो यह मात्र धागा है मगर रक्षा बंधन के दिन इसमें गुण समाहित होता है। शिशु पाल का वध करते समय सुदर्शन चक्र से भगवान श्री कृष्ण की तर्जनी उंगली में चोट आ गई थी, तब द्रोपदी ने रक्त को रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दी थी। यह द्रोपदी का बंधन था। जब द्रोपदी का चिर हरण हो रहा था तब श्री कृष्ण ने इस बंधन का फर्ज निभाया था और द्रोपदी की लाज बचाई। तब से श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा। इस दौरान महिला मंडली की संगीता वर्मा, पूनम छाबड़ा, आशा ग्रोवर, सन्तोष हंस, इंदू भुगड़ा ने हमारे दोनों रिश्तेदार एक हमारे डमरू वाले, दूजी सिंह सवार ..एक तो कैलाश का वासी दूजी है वो कटरा निवासी, एक चलाए संसार सारा, दूजी पालन हार, हमारे दोनों रिश्तेदार भजन प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। महिला मंडली की प्रधान इंदु भुगड़ा ने भाई बहन के पावन पर्व रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दीं।
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द्रोपदी की राखी का श्री कृष्ण ने रखा था मान : पवन कौशिक