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हिसार के केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र में भैंस को बैज लगाते मुख्य अतिथि डाॅ. संजय कुमार, प्रो
हिसार। केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र के स्थापना दिवस पर आयोजित एग्रीकल्चर साइंटिस्ट बोर्ड के चेयरमैन डॉ. संजय कुमार ने कहा कि देश में 200 वैज्ञानिकों की भर्ती की जाएगी। इसके लिए प्रकिया चल रही है। मंजूर पदों को अगले दो साल में पूरी तरह से भरने के लिए काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र से मांग आएगी उसी के अनुसार भर्ती होगी।
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एग्रीकल्चर साइंटिस्ट बोर्ड के चेयरमैन डॉ. संजय कुमार ने कहा कि विकसित भारत-2047 के लिए हमें एग्रीकल्चर के साथ इंजीनियरिंग की भी जरूरत होगी। ब्लॉक चेन सिस्टम को विकसित करने होंगे। हमें पनीर की टेस्टिंग से ही पता लग सकेगा कि वह कौन सी भैंस के दूध से बना है। भैंस की पूरी जानकारी भी देख सकेंगे। अगर पनीर खराब होने लगेगा तो उसका रंग बदल जाएगा, जिससे आम आदमी को भी पता लग सकेगा कि उसका उपयोग न करें।
केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र के स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे डॉ. संजय कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आने वाले समय में काफी चुनौतियों का सामना करना होगा। पशुओं के चारे के लिए जगह कम होती जाएगी। पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए साफ जोहड़ों, पोषक तत्व वाले पशु चारों की व्यवस्था करनी होगी। उत्तम नस्ल का सीमन पशुओं को उपलब्ध कराना होगा, जिससे भैंसों की नस्ल को सुधारा जा सके। पिछले वर्ष सीआईआरबी ने 2.90 लाख सीमन डोज तैयार किए। जिसमें 2 लाख पशुओं के लिए निशुल्क उपलब्ध कराए गए।
काफ रैली मैं प्रथम द्वितीय और तृतीय आने वाले पशुपालकों को किया पुरस्कृत
हिसार। सीआईआरबी के स्थापना दिवस समारोह में वेस्ट बंगाल एनिमल फिसरी साइंस विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉक्टर तीर्थ कुमार दत्ता और एनआरसीई के निदेशक डॉ. टीके भट्टाचार्य गेस्ट ऑफ ऑनर रहे। संस्थान के निदेशक डॉ. यशपाल ने बुकें भेंट करके मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि ने सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस को बैज बांधकर सम्मानित किया।
मुख्य अतिथि डॉ. संजय कुमार वैज्ञानिकों, पशुपालकों को संबोधित करते हुए कहा कि कामयाब होने के तीन नियम हैं। जिसमें पेशेंस हंगर और डिसिप्लिन का मुख्य रोल है। उन्होंने साफ और स्वच्छ दूध पैदा करने तथा अल्ट्रा मॉडर्न पैकेजिंग टेक्नोलॉजी पर ध्यान देना होगा। उन्होंने काफ रैली मैं प्रथम द्वितीय और तृतीय आने वाले पशुपालकों को पुरस्कृत किया गया। गंगवा गांव के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कराई गई साइंस क्विज के विजेता विद्यार्थियों को भी सम्मानित किया।
संस्थान निदेशक डॉ. यशपाल ने बताया कि संस्थान में लगभग 550 के आसपास कटड़े, कटड़िया, झोटे और भैंसें हैं। संस्थान में लगभग 130 के करीब दूध वाली भैंस तथा 50 के करीब बन शुष्क भैंसे हैं। 100 भैंस ऐसी हैं जिनका दूध 3000 किलो से ज्यादा है। डॉ. अभिजीत ने धन्यवाद भाषण दिया। इस मौके पर डॉ. राजेश गंगवा, डॉ. अशोक बल्हारा, डॉ. सज्जन सिंह सहित अन्य उपस्थित रहे।
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देश में 200 वैज्ञानिकों की भर्ती की जाएगी, शुरू हो चुकी प्रक्रिया : डॉ. संजय कुमार